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लॉकडाउन के दौरान समाजसेवा के साथ नियमों की अनदेखी न करें, सीआरपीएफ से सीख लें

कोरोना महामारी से लड़ाई में लॉकडाउन के दौरान कई संस्थाएं और गैर सरकारी संगठन भी लोगों की मदद के लिए सामने आ रहे हैं और लगातार जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. सरकारी तंत्र के अलावा राजनीतिक पार्टियां भी अपनी तरफ से तमाम समाजिक कार्यों में जुटीं हैं. लॉकडाउन में ऐसे सेवा कार्य में जुटे लोग जगह-जगह जाकर जरूरतमंद लोगों के बीच भोजन, राशन, साबुन, मास्क इत्यादी बांटने का काम कर रहे हैं.

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Published : Apr 26, 2020, 11:59 PM IST

Updated : Apr 27, 2020, 12:33 PM IST

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सीआरपीएफ समाज सेवा करते हुए

नई दिल्ली : कोरोना महामारी से लड़ाई में लॉकडाउन के दौरान कई संस्थाएं और गैर सरकारी संगठन भी लोगों की मदद के लिए सामने आ रहे हैं और लगातार जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. सरकारी तंत्र के अलावा राजनीतिक पार्टियां भी अपनी तरफ से तमाम समाजिक कार्यों में जुटीं हैं. लॉकडाउन में ऐसे सेवा कार्य में जुटे लोग जगह-जगह जाकर जरूरतमंद लोगों के बीच भोजन, राशन, साबुन, मास्क इत्यादी बांटने का काम कर रहे हैं.

कई जगह लोग समाज सेवा कार्यों के बीच नियमों और सुरक्षा का पूरा खयाल रखते हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आती है, जहां भोजन और राशन बांटने पहुंची गाड़ियों के पास भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है. कई जगह लोग बिना मास्क घरों से निकल आते हैं और सेवा कार्य के दौरान ही संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा दिखने लगता है.

वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अलग अलग बटालियन द्वारा कई जगहों पर चलाए जा रहे राहत कार्यों में न केवल बेहतर व्यवस्था और प्रबंधन देखने को मिल रही है बल्कि इस दौरान नियमों का पालन करते हुए लोगों को जागरुक भी किया जा रहा है.

लॉकडाउन के दौरान नियमों की अनदेखी न करें

ऐसे ही एक कार्यक्रम को ईटीवी भारत ने उदाहरण के लिये आपके सामने लाने का काम किया है. देश की राजधानी दिल्ली के बवाना क्षेत्र में CRPF 55 बटालियन का कैम्प स्थित है. स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ मिल कर सीआरपीएफ दिल्ली के बाहरी क्षेत्र में 29 मार्च से लगातार राहत कार्य में जुटा हुआ है.

सीआरपीएफ समाज सेवा करते हुए

उत्तरी नगर निगम के अंतर्गत आने वाले वार्ड पूठ खुर्द 31N में भी इसी तरह का राहत कार्य लगातार चलाया जा रहा है. इस क्षेत्र में कई अनाधिकृत कॉलोनी, पुनर्वास कॉलोनी और झुग्गी झोपड़ी कॉलोनी भी आती है, जिसके कारण यहां प्रवासी मजदूर भारी संख्या में रहते हैं.

इन कारणों से यहां लोगों को ज्यादा से ज्यादा मदद की जरूरत है और स्थानीय निगम पार्षद भी सीआरपीएफ की टीम के साथ मिल कर लगातार इनकी मदद करने में जुटे हुए हैं.

इनके द्वारा क्षेत्र मे चलाए जा रहे राहत कार्यों के दौरान सोशल डिस्टेंसींग और तमाम सुरक्षा निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है और भोजन या राशन बांटने की जगह पर गली में लगभग 500 मीटर तक सड़क पर गोल घेरे पहले ही बना दिए जाते हैं ताकि सामग्री वितरण के समय एक जगह ज्यादा भीड़ इकट्ठी न हो.

सीआरपीएफ के अधिकारी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया की 55 बटालियन की एक टीम प्रतिदिन लगभग 300 लोगों तक पहुंच कर भोजन के पैकेट्स और कच्चा राशन बांटने का काम कर रही है और इसमें उन्हें स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग मिल रहा है.

वहीं इस क्षेत्र की महिला निगम पार्षद की कार्यशैली पूरे बाहरी दिल्ली क्षेत्र में एक उदाहरण के तौर पर चर्चा का विषय भी बना हुआ है. दिल्ली के बड़े औद्योगिक हब बवाना इन्डस्ट्रियल एरिया के इधर स्थित होने से यहां हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों तक मदद पहुंचाने की जिम्मेदारी इन पर है.

लॉकडाउन की शुरुआत से ही ये लगातार क्षेत्र में खुद सक्रिय हैं. इनका कहना है कि अपने क्षेत्र के अलावा इन्हें आस-पास के क्षेत्र से भी अगर मदद के लिए कोई बुलाता है तो ये जरूर वहां पहुंचते हैं और संभव मदद करते हैं.

देश की राजधानी दिल्ली का यह क्षेत्र उदाहरण है. देशभर में लाखों लोगों के लिए जो जरूरतमंदों की सेवा में जुटे हैं, लेकिन उनके लिए इनका प्रबंधन और इनकी कार्यशैली एक अनुकरणीय उदाहरण भी है.

लॉकडाउन की स्थिति में बेरोजगार और हताश लोगों तक जब कोई राहत सामग्री ले कर पहुंचता है तो बच्चे, महिलाएं, पुरुष और बुजुर्ग सभी सहसा ही गाड़ियों की तरफ भागते हैं, लेकिन मदद कार्य के साथ साथ कुशल प्रबंधन से इन्हें संक्रमण के खतरे से बचाने की जिम्मेदारी भी उन लोगों की ही बनती है. जो इन जरूरतमंदों की मदद करने पहुंचे हैं.

Last Updated : Apr 27, 2020, 12:33 PM IST

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