हैदराबाद :बच्चे देश का भविष्य होते हैं, लेकिन जब बच्चे ही खतरे में हो तो आप खुद सोच सकते है कि उस देश का आने वाला भविष्य कैसा होगा. वो भविष्य अंधकार में ही होगा जहां बच्चों पर तक रहम नहीं किया जाये. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत जैसे विकासशील देश में अपराध की शाखा दिन प्रतिदिन अपने पैर पसार रही है. बच्चों के साथ शोषण और शर्मसार करने वाली घटनाएं अब चरम पर हैं.
बच्चों की जनसंख्या की अपराध दर 2018 में 31.8 के मुकाबले 2019 में बढ़कर 33.2 प्रतिशत हो गई. बच्चों के खिलाफ अपराधों के 31.2 प्रतिशत मामले पॉक्सो एक्ट (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के तहत दर्ज किए गए थे और पीड़ित को 94 प्रतिशत मामलों में अपराधी के रूप में जाना जाता था.
2018 से 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1.48 लाख मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से लगभग 46.6 प्रतिशत अपहरण के मामले थे और 35.3 प्रतिशत मामले यौन अपराधों से संबंधित थे.
इस वर्ष के दौरान वेश्यावृत्ति के लिए बच्चों की खरीद और प्रेरित करने वाले ऐसे 432 मामले सामने आए हैं.
2019 में कुल 46005 मामले दर्ज किए गए, जहां बालिकाओं का यौन उत्पीड़न किया गया.