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बोडोलैंड और विदर्भ को अलग राज्य बनाने को लेकर NFNS कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

केंद्र सरकार ने हाल ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्रशासित प्रदेशों का दर्जा प्रदान किया है. इसका उदाहरण देते हुए नेशनल फेडरेशन ऑफ न्यू स्टेट्स (एनएफएनएस) ने केंद्र सरकार से बोडोलैंड और विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग की है. जानें विस्तार से...

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स्वप्नजीत सान्याल, प्रमोद बोरो

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Published : Dec 9, 2019, 8:47 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने हाल ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्रशासित प्रदेशों का दर्जा प्रदान किया है. इसका उदाहरण देते हुए नेशनल फेडरेशन ऑफ न्यू स्टेट्स (एनएफएनएस) ने केंद्र सरकार से बोडोलैंड और विदर्भ को राज्य बनाने की मांग की है. इसी क्रम में एनएफएनएस के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को यहां प्रदर्शन किया.

एनएफएनएस के कोषाध्यक्ष, सचिव प्रमोद बोरो और स्वप्नजीत सान्याल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा सरकार को 2014 में किये गए वादों को निभाना चाहिए. तब भाजपा सरकार ने विदर्भ को अलग राज्य बनाने की घोषणा की थी.

ईटीवी भारत ने एनएफएनएस के कोषाध्यक्ष प्रमोद बोरो से इस मामले पर बात की. उन्होंने बताया कि विदर्भ जो महाराष्ट्र राज्य के अंतर्गत आता है, वहां पर आजादी के बाद से लगभग 40 हजार किसानों ने आत्महत्या कर ली है. विदर्भ में इस दौरान जितना भी विकास होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया है.

प्रमोद बोरो का बयान.

ऑल बोडो स्टू़डेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बोरो ने कहा कि बोडोलैंड को अलग राज्य बनाने की मांग के कारण वहां पर पांच हजार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी है. इसके अलावा लगभग 20 हजार लोगों को जेल जाना पड़ा है.

उन्होंने कहा, 'हम सभी भारत के नागरिक हैं और भारत के नागरिक होकर जीना चाहते हैं. भारत के संविधान में जो अधिकार अन्य भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं, वही अधिकार हमें भी प्राप्त है.'

उन्होंने कहा कि बीजेपी ने कहा था कि अगर सत्ता में आए तो अलग राज्य बनाएंगे और तेलंगाना उन्होंने बना दिया. इसके अलावा हाल ही में दादरा एवं नगर हवेली को मिलाकर एक कर दिया है. इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर को अलग कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया है.

बोरो ने कहा कि बीजेपी इस समय राजनीतिक रूप से जो करना चाहे वो कर सकती है. साथ ही उन्होंने कहा कि पहले सरकार कहती है. वहां जो राज्य हैं, उनकी सिफारिश चाहिए और राज्य सरकार से एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र ) चाहिए, लेकिन सरकार ने जम्मू-कश्मीर मामले में इस प्रकार से नहीं किया है.

उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि भारत की संसद को जब जरूरत पड़ती है, तब नया राज्य बना देती है.

वहीं मीडिया से बात करते हुए एनएफएनएस के सचिव स्वप्नजीत सान्याल ने कहा कि विदर्भ राज्य की मांग कोई नई बात नहीं है. यह मांग पिछले 70 साल से होती आई है.

स्वप्नजीत सान्याल का बयान

उन्होंने आगे कहा कि विदर्भ जब से महाराष्ट्र राज्य के अंतर्गत आया है. तब से बर्बाद होता रहा है और वहां के लोग गरीब से गरीब होते चले गए.

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सान्याल ने कहा,' आज हालात इस तरह के हैं कि विदर्भ के लगभग 40 हजार किसानों ने अपनी जान गंवा दी है. साथ ही कहा कि विदर्भ के लोगों को जो मूलाधिकार प्राप्त है, वो नहीं मिल पा रहा है.

उन्होंने भाजपा से मांग करते हुए कहा कि भाजपा सरकार को 1996 में की गई घोषणा का पालन करना चाहिए, जहां पार्टी ने भुवनेश्वर सम्मेलन में छोटे राज्यों के निर्माण का पक्ष लिया है.

सान्याल ने आगे कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर चुनाव लड़ा था और 62 में से 44 सीटों पर जीत हासिल की थी.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने वादा किया था कि अगर केंद्र में उसकी सरकार बनती है तो विदर्भ को अलग राज्य बनाएगी.

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