नई दिल्ली : देश भर के विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों से नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध प्रदर्शन की तस्वीरें सामने आ रही हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से रिपोर्ट मांगी है.
इससे पहले सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एक ट्वीट किया था. निशंक ने शांति बनाए रखने की अपील की थी.
इस तमाम मामले पर ईटीवी भारत ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता हन्नानमोल्ला से बात चीत की.
हन्नान मोल्ला ने भी इस बात पर जोर दिया की बेहतर होता अगर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों से सरकार या मंत्री संवाद करते, और बातचीत कर उनको शांत कराया जाता. उन्होंने कहा कि ये सरकार बात चीत करने में विश्वास नहीं रखती है.
हन्नान मोल्ला ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की एक के बाद एक ऐसे विधेयक लाकर और कानून बनाकर ये सरकार अपने घोषणापत्र नहीं बल्की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एजेंडा को लागू कर रही है.
हन्नान मोल्ला का कहना है कि लोकतंत्र में समस्या का हल बातचीत से निकाला जाना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार और उनके मंत्री को लगता है कि बल प्रयोग से वे शांति बहाल करा लेंगे.
उन्होंने कहा कि मोदी और शाह इस देश को एक फासीवादी हिन्दुत्व राष्ट्र बनाना चाहते हैं, इसलिये वो अल्पसंखय्क समुदाय को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.
इसी बीच 19 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का एलान किया गया है. विरोध प्रदर्शन में अखिल भरतीय किसान सभा, CITU, AIAWU और JNUSU जैसे संगठन भी CPIM के साथ खड़ी होंगी.