श्रीनगर : मुदस्सिर याकूब ने अपनी शादी की बड़ी-बड़ी योजनाएं बना रखी थीं. उनकी शादी की तारीख पिछले साल अगस्त में तय की गई थी, लेकिन सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के कारण उन्हें मार्च तक के लिए शादी को स्थगित करना पड़ा.
फिर मार्च में कोरोना आ गया और लॉकडाउन ने उन्हें शादी की तारीख को फिर से निर्धारित करने के लिए मजबूर कर दिया. 25 वर्षीय दूल्हे ने कभी नहीं सोचा था कि उसे अतिथि सूची के लिए भी सरकार से अनुमति लेनी होगी.
मुदस्सिर ने बताया कि मेरी शादी पिछले साल अगस्त में तय हुई थी, लेकिन अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के कारण शादी को स्थगित कर दिया. इस साल मार्च में फिर से कोविड-19 की वजह से शादी को स्थगित करना पड़ा.
कश्मीर में शादियां बहुत धूमधाम से की जातीं हैं. शादी के लिए दूल्हा और दुल्हन को सूखे मौसम का इंतजार करना पड़ता है. गेस्ट लिस्ट को हफ्तों पहले तैयार किया जाता है और एक खास पकवान वजवान को बड़े हॉल में तांबे की प्लेटों में परोसा जाता है. दूल्हा और दुल्हन को फैंसी कपड़ों से सजाया जाता है.
कश्मीर में शादी का मौसम आमतौर पर मार्च में शुरू होता है. छह महीने तक रहने वाली सर्दियों में शादियां नहीं होतीं. हालांकि, इस साल महामारी और उससे बचाव के लिए जारी सरकारी दिशानिर्देशों के कारण रंगत फीकी पड़ गई है.