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कोविड-19 प्रबंधन : पड़ोसी देशों की तैयारियों से भारत ले सबक

कोरोना महामारी से पूरा विश्व त्रस्त है. इस वायरस ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हर देश की क्षमता को चुनौती दी है. दुनिया आज कोरोना से लड़ने के लिए व्यापक उपायों को लागू कर रहे हैं.

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Published : Aug 20, 2020, 12:54 PM IST

Updated : Aug 21, 2020, 12:20 AM IST

कोविड-19 महामारी के बढ़ने और तेज़ी से होते प्रसार ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हर देश की क्षमता को भरपूर चुनौती दी है. नए कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को बाधित करने के लिए ज्यादातर देशों ने राष्ट्रव्यापी उपायों को लागू किया है इनमें से कुछ में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू आवाजाही को रोकना / सीमित करना, शैक्षणिक सुविधाओं को बंद करना, सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाना या संगरोध (क्वारंटाइन) को लागू करना, हाथ धोने और मास्क-पहनना शामिल है.

संचरण को बाधित कर जीवन की सुरक्षा करने के लिए और कम और लम्बे समय के लिए आवश्यक अधिक सटीक और लक्षित उपायों को लागू करने के लिए विश्व स्वस्थ्य संगठन ने छह रणनीतिक कार्यों की सिफारिश की है जिसमें-

(1) स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यबल का विस्तार, प्रशिक्षण और तैनाती करना

(2) सामुदायिक स्तर पर हर संदिग्ध मामले का पता लगाने के लिए प्रणाली को स्थापित करना.

(3) जांच की क्षमता और उपलब्धता को बढ़ाना

(4) मरीज़ों के इलाज और उन्हें एकांत में रखने की सुविधाओं को मज़बूत करना

(5) एक स्पष्ट संचार योजना और प्रक्रिया तैयार कर संपर्क में आये व्यक्तियों से संपर्क साधना

(6) मृत्यु दर को घटाने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु रूप से बनाए रखना.

हालांकि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के कई देशों ने कोविड-19 के प्रबंधन और न्यूनीकरण को अपेक्षाकृत अच्छी तरह से प्रबंधित किया है, लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जिनसे भारतीय संदर्भ में ख़ास सबक लिए जा सकते हैं. विश्व स्वस्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुकूल इस क्षेत्र के तीन देशों में जिस तरह से कोविड 19 का प्रबंधन और तैयारियाँ रही हैं उससे भारतीय राज्यों को बहुमूल्य सबक सीखने चाहिए.

शहरी-राज्य सिंगापुर की महामारी से निपटने की तैयारी और रोकथाम का एक उत्कृष्ट शहरी दृष्टिकोण प्रदान करता है. फरवरी की शुरुआत में सिंगापुर में फरवरी के शुरू में कोविड -19 का पता लगाने के लिए सिंगापुर सबसे शुरुआती देशों में से एक था और मई-जून तक क्षेत्र द्वारा पुष्टि मामलों की सूची में सबसे ऊपर था, इसके शुरुआती मामले पाए गए थे, मई-जून तक क्षेत्र में पुष्टि किए गए मामलों की सूची में सबसे ऊपर पहुंच था.

गुरुवार को (20-08-2020) भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 28,36,926 तक जा पहुंची. वहीं इससे मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 53,866 तक जा पहुंचा है. महामारी के प्रबंधन में निम्नलिखित उपायों को जानबूझकर शामिल किया गया है- सरकार की संपूर्ण प्रतिक्रिया: सिंगापुर ने सार्स के प्रकोप के दौरान अपने पिछले अनुभव का इस्तेमाल करते हुए कोविड से निपटने के लिए समन्वित योजना को तैयार किया था जिसमें कई सरकारी एजेंसियों को शामिल करने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को ज़िम्मेदारी तय करने, भारी निवेश और स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना क्षमता के निर्माण को तरजीह दी.

बलों के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय और सिंगापुर पुलिस बल द्वारा संक्रमित व्यक्ति के संपर्कों को ढूंढ निकालना और संगरोध, हाथ धोना और मास्क पहनना सुनिश्चित करना संस्थाओं के बीच के सामान्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.

सार्वजनिक स्वस्थ्य केंद्रों द्वारा बड़े पैमाने पर जाँच कर प्राथमिक स्वास्थ्य संस्था की क्षमता को काम में लाया गया. हर नागरिक की जाँच करना मुमकिन नहीं था और इससे जाँच केंद्रों पर दबाव बढ़ सकता है इसलिए इससे बचने के लिए गंभीर तौर पर संक्रमित रोगियों की पहचान की गई. सिंगापुर ने इस कार्य को 1000 चिन्हित सार्वजनिक स्वस्थ्य केंद्रों द्वारा अंजाम दिया जिसमें देश भर के सार्वजनिक और निजी प्रदाताओं शामिल थे – जिससे महामारी से निपटने के लिए प्राथमिक चिकित्सा देने वाले चिकित्सकों को अतिरिक्त प्रशिक्षण देकर उन्हें तैयार किया जा सके.

आक्रामक लेकिन लक्षित संगरोध के उपाय: भारत की तरह, सिंगापुर में भी विदेशी प्रवासी श्रमिकों के बीच कोविड सकारात्मक मामलों की एक बड़ी संख्या थी, जिनको अलग नहीं किया सकता था. उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए इस आबादी की तत्काल आक्रामक तरीके से लक्षित जाँच की और संक्रमित लोगों को ख़ास तौर से तैयार किए हुए शिविरों में रखा गया और उनके संपर्क में आये लोगों को सुविधा शिविरों में निगरानी में अलग कर दिया गया , ऐसा करने से संक्रमण के प्रसार की कड़ी कमज़ोर हो गई या टूट गई.

सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित तर्कसंगत, पारदर्शी और लगातार होने वाले संचार से आमतौर से स्वीकार अनिश्चितताओं और जानकारी के अभाव से जुड़ी दिक्कतों को समाप्त कर दिया गया है. संचार के द्वारा नागरिक और नागरिक समाज के नेताओं के बीच जुड़ाव बना रहा. सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एक तरफ़ा मैसेजिंग के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर नागरिकों को बार-बार और लगातार विश्वसनीय जानकारी देती रही है.

अंत में, सबसे महत्वपूर्ण रहा स्वास्थ्य कार्य बल का समर्थन, संचालन और एकत्रीकरण. महामारी के दौरान, स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल को सहायक कर्मचारियों, गैर-स्वास्थ्य क्षेत्रों के स्वयंसेवकों और विभिन्न स्वास्थ्य और नगरपालिका सुविधाओं से अग्रिम पंक्ति के पेशेवरों ने साथ आकर मजबूती प्रदान की. कोविड और गैर-कोविड दोनों स्वास्थ्य स्थितियों के प्रबंधन के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अग्रिम पंक्ति के कार्यबल को एक साथ लाया गया है.

नये कोरोना वायरस के प्रति वियतनाम की तीव्र प्रतिक्रिया दुनिया में सबसे ज्यादा सफल रही है. मध्य अप्रैल के बाद से, देश में पाए जाने वाले नये मामले सिर्फ़ विदेश से लौटे लोगों के बीच थे, जिन्हें देश में प्रवेश करते ही अलग रखा गया था. हालाँकि हाल के हफ़्तों में स्थानीय संक्रमण बढ़ रहा है.

वियतनाम ने भी रणनीति के तौर पर पूरे समुदाय की सहभागिता को शामिल किया: शुरुआत में, प्रधान मंत्री ने आर्थिक चिंताओं से ऊपर स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी और वियतनाम ने महामारी निवारण पर एक राष्ट्रीय संचालन समिति के साथ एक राष्ट्रीय प्रतिक्रिया योजना जारी की. युद्ध के रूपक (कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई) का उपयोग सार्वजनिक संदेश में वायरस के खिलाफ नागरिकों को एकजुट करने के लिए किया गया था. ऐसा करना सरकार के विभिन्न स्तरों पर प्रासंगिक संस्थाओं के कार्यों और संचार के समन्वय के लिए महत्वपूर्ण था. सैन्य और सार्वजनिक सुरक्षा सेवाओं और ज़मीनी संगठनों की मदद से निवारण और नियंत्रण रणनीति को तेजी से तैयार किया गया, जो तीन चरणों को सामने रखकर बनाई गई थी-

तेजी से नियंत्रण: हवाई अड्डे पर स्वास्थ्य जांच, शारीरिक दूरी, विदेशी आगंतुकों की यात्रा पर प्रतिबंध, अंतरराष्ट्रीय आगमन पर 14 दिनों की संगरोध अवधि, स्कूल बंद करने और सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द करने के के आदेश. विश्व स्वस्थ्य संगठन की सिफारिश से पहले सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना कड़ाई से लागू किया गया था, सार्वजनिक क्षेत्रों, कार्य स्थलों और आवासीय भवनों में हाथ सेनिटाइज़र के इस्तेमाल को अनिवार्य बना दिया गया था. गैर-ज़रूरी सेवाओं को देश भर में बंद कर दिया गया था, और देश भर में आवाजाही पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए थे.

प्राथमिक स्वास्थ्य के हर स्तर पर आक्रामकता और नियंत्रण: जबकि अधिक उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में महंगी जन-परीक्षण रणनीतियों का प्रयास किया गया था, वियतनाम ने उच्च जोखिम और संदिग्ध मामलों पर ध्यान केंद्रित किया और 2 से मई आने तक 120 राष्ट्रव्यापी स्थानों पर जाँच क्षमता को तेज़ी से बढ़ा दिया. सार्स के प्रकोप से सबक लेते हुए, वियतनाम ने समय के साथ महामारी विज्ञान को साक्ष्य के आधार पर संदिग्ध हॉटस्पॉट में बड़े पैमाने पर संगरोध को लागू किया और पुष्टि के हर मामले में लगभग 1,000 लोगों की जाँच की गई, जिसका दुनिया में सबसे अधिक अनुपात रहा. जैसे ही संक्रमित व्यक्ति की पहचान की गई उसे तुरंत ही सरकार द्वारा संचालित शिविर जैसे कि विश्वविद्यालय के छात्रावास या सेना के बैरक में इलाज के लिए भेज दिया गया.

संक्रमित व्यक्ति के सभी करीबी संपर्क में आये लोगों को भी इन सुविधाओं में "आपातोपयोगी” तौर पर रखे गए थे, भले ही वे उस समय कोई भी लक्षण नहीं दर्शा रहे थे. समानांतर में, तृतीय-स्तरीय संपर्कों तक व्यापक संपर्क के आये व्यक्तियों को खोज निकाला गया और उन्हें अलग रखा गया और संगरोध लागू किया गया. जो लोग संक्रमित मरीज़ों के पास रहते थे, कभी-कभी एक पूरी सड़क या गांव में तेजी से जाँच करवाई गई और उस स्थान में आवाजाही पर रोक लगा दी गई ताकि सामुदायिक स्तर पर स्क़न्क्रमण को रोका जा सके. लगभग 450,000 लोगों को (या तो अस्पतालों या राज्य द्वारा संचालित सुविधाओं या घर पर) अलग किया जा चुका है.

स्पष्ट, सुसंगत, रचनात्मक सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेश: कई हितधारकों से जोड़ने और समुदाय आधारित प्रतिक्रिया को विकसित करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ. प्रारंभिक चरण से, वायरस और रणनीति के बारे में संचार पारदर्शी रहे. लक्षण, सुरक्षात्मक उपायों और जाँच स्थलों पर विवरण सार्वजनिक मीडिया, सरकारी वेबसाइटों, सार्वजनिक ज़मीनी संगठनों, अस्पतालों, कार्यालयों, आवासीय भवनों और बाजारों में, मोबाइल फोन पर लिखित संदेशों के माध्यम से और बोलते हुए संदेशों के माध्यम से संचार किया गया था.

इस सुनियोजित समन्वित बहु-मीडिया दृष्टिकोण और सुसंगत समाचार ने सार्वजनिक विश्वास को मजबूत किया और समाज को सुरक्षात्मक और रोकथाम उपायों का पालन करने में मदद की, जिसमें हर नागरिक अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए प्रेरित हुआ, चाहे वह सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना हो या हफ़्तों तक संगरोध का पालन करना हो.

हमारे देश के करीब श्रीलंका एक बहुत छोटा द्वीप राष्ट्र है जो अपेक्षाकृत अच्छी तरह से महामारी को प्रबंधित करने में कामयाब रहा है. श्रीलंका की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली इस क्षेत्र में सबसे ऊपर के स्थान पर है, देश भर के सुलभ अस्पतालों के नेटवर्क के साथ, उच्च योग्य चिकित्सा कर्मचारी और समर्पित सार्वजनिक-स्वास्थ्य निरीक्षकों के साथ स्थानीय सरकारें काम कर रहीं हैं.

हालांकि, एक बड़े पैमाने पर प्रकोप का प्रबंधन करने के लिए संस्थागत क्षमता की कमी के कारण सख्त वायरस-नियंत्रण उपायों की आवश्यकता महसूस हुई, जहां सैन्य बालों की को राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारी सौंपी गई - संगरोध केंद्र की देखरेख से लेकर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये व्यक्तियों को ढूंढ निकालने तक का काम सेना का था. - जबकि पुलिस ने कर्फ्यू को लागू रखा, उल्लंघन की शिकायतों पर कार्यवाही करना और संदिग्ध उल्लंघनकर्ताओं को गिरफ्तार करना. सरकार ने अन्य सख्त उपायों को अपनाया, जिसमें देश में आने वाली उड़ानों को निलंबित करना और बाज़ार और सार्वजनिक परिवहन स्टेशनों को अनियमित रूप से कीटाणुरहित करना शामिल है, संक्रमण की दर को सीमित करने के इन सभी कार्यों के लिए सैन्य और पुलिस बलों की प्रशंसा की गई.

भारत श्री लंका से दो सबक सीख सकते हैं, पहला –

रोग निगरानी की स्थापित प्रणाली: कई संक्रामक और गैर- संक्रामक रोगों के साथ अपने पिछले अनुभवों से सीखते हुए, श्रीलंका ने मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी में निवेश किया है जो मौजूदा कोरोनवायरस वायरस महामारी के दौरान काम में आई है. इस देश ने 2020 की शुरुआत में ओपन सोर्स DHIS2 प्लेटफॉर्म पर आधारित एक निगरानी प्रणाली विकसित कर ली थी और जनवरी में पहला मामला सामने आने के बाद किसी भी संभावित कोविड -19 के संदिग्ध मरीज़ के नज़र में आने के तुरंत बाद महामारी की गति पर बारीकी से नज़र रखी.

सरकार ने सुनिश्चित किया कि श्वसन संबंधी बीमारियों के किसी भी मामले को खोजने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी को सक्रिय किया जाये. एक बार मामलों की पहचान हो जाने के बाद, उन्होंने आवश्यक निदान किए, ताकि वे किसी भी संदिग्ध कोविड-19 मामलों को नियंत्रित कर सकें.

दूसरा, अपने प्राथमिक स्वास्थ्य जाल तंत्र पर श्रीलंका की लगातार निर्भरता बनी रही. जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य क्लीनिक प्रकोप के दौरान बंद थे, सरकार ने नियमित रूप से रोगियों के घरों में नियमित स्वास्थ्य जांच और दवा पहुंचाना शुरू कर दिया था. एक हॉटलाइन बनाई गई थी जिसमें गैर-कोविड रोगी स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सलाह ले सकते थे जिनमें गैर-कोविड बीमारियों से संबंधित जानकारियाँ भी शामिल थीं.

एक दिलचस्प सादृश्य है जहां देश की स्वास्थ्य प्रणालियों की तुलना फुटबॉल जैसे टीम आधारित खेल से की जाती है, जहां कई खिलाड़ी सामूहिक रूप से एक गोल करने के लिए और टूर्नामेंट जीतने में एक साथ योगदान देते हैं. ठीक इसी तरह, कोविड -19 के प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य सेवा के प्रावधान और उन तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य देखभाल और रोग संबंधी चुनौतियों का पूर्वानुमान, नियंत्रण, समाहित करने और प्रतिक्रिया देने के लिए तमाम संस्थाओं के विविध समूहों की आवश्यकता होती है.

जितना अधिक समन्वित और अच्छी तरह से संरेखित टीम होगी उतना बेहतर तरीके से बीमारी के प्रकोप का मुकाबला करने और आबादी के लिए अच्छे स्वास्थ्य परिणामों का निर्माण करने की रणनीति तैयार की जा सकेगी. इन लक्षितकार्यों ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर दबाव को कम करने का काम किया है और भारतीय राज्यों में उन्हें सुचारु रूप से चलाने में मदद की है वो भी तब जब वे इस बीमारी से निपटने के अगले स्तर की ओर बढ़ रहे हैं.

(लेखिका- डॉ. प्रिया बालासुब्रमण्यम)

Last Updated : Aug 21, 2020, 12:20 AM IST

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