नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में हुए दंगों के मामले के सभी आरोपियों को आरोपपत्र की सॉफ्ट कॉपी देखने की अनुमति देने पर दिल्ली पुलिस मंगलवार को अदालत में सहमत हो गई.
इससे पहले आरोपियों ने दावा किया था कि उनके अधिवक्ताओं के साथ आधे घंटे की कानूनी बातचीत के दौरान 17,000 पन्नों के आरोपपत्र पर चर्चा करना मुश्किल है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत को पुलिस ने बताया कि अगर आरोपपत्र को जेल परिसर के भीतर कंप्यूटर पर अपलोड कर दिया जाता है और सभी आरोपियों तक इसकी पहुंच हो जाती है, तो उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है.
इससे पहले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद के अधिवक्ता ने अदालत में आवेदन देकर कहा था कि खालिद को जेल के भीतर आरोप पत्र की सॉफ्ट कॉपी तक पहुंच की अनुमति दी जाए. खालिद के अधिवक्ता ने आगे कहा था कि आधे घंटे की कानूनी बातचीत के दौरान 17 हजार पृष्ठों के आरोपपत्र एवं आगे की कानूनी रणनीति पर चर्चा करना मुश्किल है.
कानूनी रणनीति पर चर्चा के लिए मिलेगा समय
अधिवक्ता ने कहा कि उमर खालिद को जेल में आरोपपत्र की सॉफ्ट कॉपी तक पहुंच दी जा सकती है. जो भी कंप्यूटर वहां उपलब्ध है और खालिद की वहां सुलभ पहुंच है. या तो एक कंप्यूटर जेल नंबर 2 में लाया जाये अथवा उसे जेल परिसर के अंदर कंप्यूटर सेंटर में ले जाया जाये और उन्हें आरोपपत्र की सॉफ्ट कॉपी तक पहंच की अनुमति दी जानी चाहिए.
खालिद ने कहा कि हमारे पास बातचीत के लिए आधे घंटे का समय है. हम आरोपपत्र अथवा कानूनी रणनीति पर उस समय में चर्चा नहीं कर सकते हैं. यह हजारों पृष्ठों में है.