बूंदी : कहते हैं अगर इंसान के मन में कुछ अच्छा करने का जज्बा हो तो वह कार्य खुद-ब-खुद इच्छाशक्ति के मुताबिक होने लगता है. ऐसा ही बूंदी के एक दंपती ने कर दिखाया है. बता दें कि दंपती ने अपने जीवनभर की पूंजी और पेंशन से विशाल मंदिर और वृद्धाश्रम बनवाकर आमजन को समर्पित किया है.
कोटा के गुलाब बाड़ी आर्य समाज रोड निवासी और इस गांव में रह रहे चंद्रकांत सक्सेना संपन्न परिवार से हैं. पहले वह सेना से रिटायर हुए, फिर वह शिक्षा विभाग से जुड़ गए. उनकी पत्नी हंशा सक्सेना एजुकेशन विभाग से रिटायर हुई हैं.
पति-पत्नी ने अपनी पेंशन सहित पूरी जमा पूंजी से बनवाया मंदिर लगाई जीवन भर की पूंजी
दोनों पति-पत्नी इस मंदिर और वृद्धाश्रम के लिए अपनी पूरी जीवन भर की पूंजी व पेंशन लगा चुके हैं. अब तक 80 लाख रुपए इस मंदिर निर्माण कार्य और वृद्धाश्रम के लिए खर्च किए जा चुके हैं. बेटी निपुर ने 5 लाख, बड़े बेटे अभिषेक ने 8 लाख, छोटे बेटे अंकुर ने 13 लाख रुपए की मदद अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए की है.
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पहाड़ों के बीच मंदिर बनवाने का सपना
दंपती ने बताया, कि उनका सपना था कि वह पहाड़ों के बीच एक विशाल मंदिर बनाकर वहां पर धर्म के प्रति लोगों में आस्था जगाए और वृद्धाश्रम खोलकर असहाय लोगों को नई जिंदगी देने का काम करें. यह मंशा दोनों ने अपने बच्चों के सामने रखी तो बच्चों ने भी इसपर सहमती जता दी.
जीवन की पूंजी वृद्धा श्रम बनवाने में लगा दी 6 बीघा भूमि में बना मंदिर
बूंदी शहर से 30 किलोमीटर दूर खटकड़ इलाके के पास कुआं गांव की 6 बीघा भूमि पर चंद्रलोक सर्वेश्वर मंदिर बनवाया गया है. जहां पर नौ ग्रह का निर्माण भी करवाया गया है. मंदिर में कायस्थ समाज के आराध्य भगवान चित्रगुप्त महाराज की प्रतिमा भी प्रतिष्ठित की गई है.
वृद्ध आश्रम का निर्माण कार्य शुरू
मंदिर के आसपास हरियाली के लिए पौधे लगाए गए हैं और कुछ भूमि पर ऑर्गेनिक खेती भी की जा रही है और उनसे प्राप्त होने वाले फलों को आस-पास के गांव में निशुल्क वितरित करने का काम किया जा रहा है. वहीं बची हुई भूमि पर वृद्धाश्रम का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है.
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दंपति की अपील
मंदिर निर्माण करवा रहे दंपति ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और दानदाताओं से सहयोग देने की अपील की है. साथ ही उन्होंने सभी सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों- अधिकारियों को सलाह देते हुए कहा है कि वह लोग सेवानिवृत्त होने के बाद सिद्धांत बनाकर इस तरीके से सामाजिक सरोकार वाले कार्य करें.
पूजा के दौरान चंद्रकांत सक्सेना दो साल से रहे गांव में
पिछले 2 सालों से दोनों पति-पत्नी अपने घर को छोड़कर इस भूमि पर रह रहे हैं और उन्हीं की देखरेख में मंदिर तथा वृद्धाश्रम के निर्माण का कार्य चल रहा है रोज आसपास के ग्रामीण जहां दर्शन करते हैं. यकीनन आस्था के साथ सेवा के जुनून का उदाहरण इस दंपती ने साकार करके दिखाया है और समाज में एक अनूठी छाप छोड़ते हुए अपने सपने को साकार करते हुए आमजन के लिए कुछ करने का जज्बा सोचा है.