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...ताकि मलिन बस्तियों पर ना पड़े वीआईपी की 'नजर' - wall covered slum area

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को भारत दौरे पर आ रहे हैं. उनके लिए गुजरात की राजधानी में 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसकी जोरदार तैयारियां की जा रही हैं. ट्रंप एयरपोर्ट से स्टेडियम तक की दूरी अपनी खास कार में तय करेंगे. रास्ते में दोनों ओर लोगों का हुजूम भी होगा. बीच में 400 मीटर की लंबी एक दीवार भी बनाई गई है. हालांकि, इसका मकसद क्या है, इस पर कुछ भी नहीं कहा गया है. सुरक्षा भी एक वजह हो सकती है. हालांकि, कुछ लोगों का आरोप है कि स्लम इलाके को छिपाने के लिए ऐसा किया गया है. आइए जानते हैं कि क्या किसी भी वीआईपी के दौरे से पहले इस तरह के और भी प्रयास किए गए हैं या नहीं.

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ईटीवी भारत

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Published : Feb 19, 2020, 1:25 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 8:13 PM IST

हैदराबाद : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिनों के लिए भारत यात्रा पर आ रहे हैं. उनकी यह यात्रा 24 -25 फरवरी को है. ट्रंप के साथ उनकी पत्नी मिलानिया ट्रंप भी आ रही हैं. उनके जोरदार स्वागत की तैयारी की जा रही है. गत वर्ष सितंबर, 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे. उस दौरान 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में 50 हजार से ज्यादा भारतीय शामिल हुए थे.

राष्ट्रपति ट्रंप के दौरे से पहले भारत उनका स्वागत करने के लिए तैयारी कर रहा है. स्वागत के लिए हाउडी मोदी कार्यक्रम की तर्ज पर ही 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रम का आयोजन अहमदाबाद में किया गया है. हालांकि, इस दौरान एक ऐसी खबर आई, जिसने सबका ध्यान इस ओर खींच लिया है. अहमदाबाद एयरपोर्ट से स्टेडियम के बीच जिस जगह पर मलिन बस्ती पड़ती है, वहां पर एक दीवार बनाई गई है. इसकी लंबाई 400 मीटर बताई गई है. क्या इसे सुरक्षा कारण से बनाया गया है, या कोई और वजह, इसकी जानकारी नहीं मिली है. 24 फरवरी को ट्रंप अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे और यहां से वह नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम स्थल पर जाएंगे.

आपको बता दें कि इस तरह के और भी कई उदाहरण मौजूद हैं, जब वहां पर किसी वीआईपी का आगमन हुआ और वह जिन इलाकों से होकर गुजरे हैं, वहां पर अस्थायी दीवार बनाई गई. हालांकि, इसके कारणों को लेकर हमेशा विवाद रहा है. कई कारणों में सुरक्षा सबसे अहम वजह बताई जाती है. ओलंपिक खेल के दौरान इस तरह के कृत्यों का सबसे अधिक उदाहरण मिलता है. पेश है कुछ उदाहरण.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

2017 इंवाका ट्रंप का भारत दौरा
24 नवंबर, 2017 को डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका हैदराबाद के मधापुर स्थित इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (HICC) में आठवें वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन (GES) में भाग लेने के लिए भारत आई थीं.

उनके इस दौरे के दौरान तेलंगाना के अधिकारियों ने कथित तौर पर 'भिखारियों' को मुख्य शहर (हैदराबाद) से बाहर कर दिया था. कई भिखारियों को आश्रय गृह में रखा गया था. पुलिस ने 400 भिखारियों को हिरासत में लेकर चंचलगुडा जेल में पुनर्वास सुविधा केन्द्र में भेजा था.

2010 दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम
2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन दिल्ली में किया गया था. अक्षर धाम मंदिर के आसपास के इलाकों को ढंकने के लिए टेंट से घेर दिया गया था. उस इलाके में कई मलिन बस्तियां थीं. प्रशासन पर सड़क के किनारे रहने वाले कई भिखारियों को उनके कस्बे या गांव वापस भेज दिया गया था.

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2000 में बिल क्लिंटन का भारत दौरा
मार्च, 2000 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की मेजबानी के लिए हैदराबाद की सड़कों से भिखारियों को हटा दिया गया था. फुटपाथ पर रहने वालों को ट्रकों में भरकर सौ किलोमीटर दूर ले जाकर छोड़ दिया गया था.

अमेरिका-
2008 में अमेरिकी शहर डेनवर में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन का आयोजन किया गया था. वहां डेमोक्रेट्स पहुंचे थे. आसपास के रहने वाले बेघर इस कन्वेंशन में कोई बाधा उत्पन्न ना करें, इसलिए उन्हें फिल्म का टिकट दे दिया गया.

ब्राजील-
2016 में ओलांपिक की मेजबानी ब्राजील कर रहा था. 2016 के ओलंपिक से पहले, ब्राजील में निजी सुरक्षा अधिकारियों ने पर्यटन क्षेत्रों से बेघर लोगों को हटा दिया और रियो डी जनेरियो के सरकारी अधिकारी ने उन्हें पुलिस थानों में बंद कर दिया था.

चीन-
2008 में ओलांपिक का मेजबान चीन था. उस दौरान आई सेंटर ऑन हाउसिंग राइट्स एंड एविक्शन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2000 से 2008 के बीच ओलंपिक से संबंधित शहरी (पुनः) विकास परियोजनाओं के परिणामस्वरूप 1.5 मिलियन लोगों को विस्थापित कर दिया गया था.

एथेंस-
2004 में ओलांपिक एथेंस में होना था. इसके लिए एथेंस ने खूब तैयारी की. निजी संपत्ति के विस्तार को रोकने के लिए 2004 एथेंस ओलंपिक से पहले विधायी उपाय भी पेश किए गए थे. सैकड़ों लोगों को उनकी बस्तियों से निकाल दिया गया था.

एथेंस में 2004 में ओलंपिक खेलों के दौरान 2,700 रोमा को कथित तौर पर बेदखल किया गया था. 2004 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के लिए शहर की तैयारियों के दौरान रोमनी आबादी की बेदखली मुख्य शिकार थी. अधिकारियों द्वारा उन्हें खेल के स्थानों से दूर रखने का प्रयास किया गया था.

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बता दें कि 2007 में यूके सेंटर ऑन हाउसिंग राइटस एंड इविक्शंस के अध्ययन में दावा किया गया कि 2004 तक ओलांपिक की मेजबानी करने वाले शहरों के विकास के लिए दो मिलियन से अधिक लोगों को बेघर कर दिया गया था.

अमेरिका-
1996 के अटलांटा खेलों के लिए, करीब 30,000 गरीब निवासियों को जेंट्रीफिकेशन के कारण विस्थापित किया गया था. लगभग 2,000 सार्वजनिक आवास इकाइयों को तोड़ दिया गया था. बेघर होने के अपराधीकरण के लिए कानून पेश किया गया था.

बार्सिलोना-
1993 बार्सिलोना ओलंपिक खेल: 1992 में बार्सिलोना ओलंपिक पहले ही, 400 से अधिक परिवारों को ओलंपिक गांव की जगह बनाने के लिए विस्थापित किया गया. 20 परिवारों को ओलंपिक स्टेडियम की साइट से निकाल दिया गया और 200 अन्य परिवारों को रिंग रोड के निर्माण के लिए विस्थापित किया गया.

दक्षिण कोरिया-
1988 में दक्षिण कोरिया के सियोल में ओलंपिक खेलों की तैयारियों के दौरान, सबसे क्रूर रूप से उत्पीड़ित कम आय वाले समुदाय के लोग थे. जिनकी बस्तियां ओलंपिक मशाल पथ के पास थीं, क्योंकि सरकार नहीं चाहती थी कि वह मीडिया को दिखाई दें.

ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की तैयारी में, दक्षिण कोरिया के सियोल में 720,000 लोगों को जबरन विस्थापित किया गया था.

Last Updated : Mar 1, 2020, 8:13 PM IST

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