नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे सीमा विवाद को लेकर आज दोनों देशों के बीच चुशूल में बैठक होगी. जिसमें दोनों देशों की सेनाओं के शीर्ष कमांडर शामिल होंगे. इस बैठक में एलएसी से सैनिकों के पीछे हटने के दूसरे चरण पर चर्चा होगी.
सूत्रों के अनुसार भारत और चीन की सेना के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की चौथी बैठक आज पूर्वी लद्दाख के चुशूल में होने जा रही है.
सैन्य सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि यह बैठक संघर्ष क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने के तौर-तरीकों को तय करने पर केंद्रित होगी.
पिछली तीन बैठकों की तरह मंगलवार को होने वाली बैठक के भी देर रात तक चलने की उम्मीद है. इससे पहले लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारच-चीन के बीच शीर्ष कमांडर स्तर पर तीन बैठकें हो चुकी हैं. इसके साथ ही राजनियक स्तर पर भी बातचीत जारी है.
आज होने वाली बैठक में भारतीय सेना की टीम का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह करेंगे, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग मिलिट्री के जिला कमांडर मेजर जनरल लिन लियू करेंगे.
सैन्य सूत्रों के मुताबिक, बैठक का मुख्य एजेंडा फिंगर एरिया को सुलझाने, गहराई वाले क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने और विघटन की प्रक्रिया को पूरा करने पर होगा.
बता दें कि बीते दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच फोन पर वार्ता में एलएसी पर तनाव करने पर सहमति बनी थी. जिसके बाद भारत और चीन के सैनिक गलवान घाटी में अग्रिम मोर्चों से करीब एक किलोमीटर पीछे हटे थे. हालांकि, दोनों देशों की सेनाओं के पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया अभी भी जारी है.
विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) गलवान घाटी (पेट्रोल प्लाइंट 14), हॉट स्प्रिंग्स (पेट्रोल प्लाइंट 15), गोग्रा (पेट्रोल प्लाइंट 17) तथा अन्य अग्रिम मोर्चों से अपने सैनिकों को वापस बुला चुकी है. पैंगोंग झील के उत्तरी छोर पर स्थित फिंगर फोर पर अभी भी चीनी सैनिक मौजदू हैं, लेकिन चीनी सेना यहां भी अपनी उपस्थिति कम कर चुकी है.
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भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन पैंगोंग त्सो क्षेत्र के फिंगर फोर और फिंगर आठ से अपनी सेना को आवश्यक तौर पर हटाए. इसी क्षेत्र में पेट्रोलिंग को लेकर 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. जिसके कारण गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.
फिंगर चार के बाईं तरफ भारत की एक सीमा चौकी थी, जबकि चीन की मुख्य चौकी सिरीजाप क्षेत्र के पास फिंगर आठ के बाद थी. फिर भी चीनी सेना वाहनों से कंक्रीट के रोड पर फिंगर आठ से फिंगर चार तक पेट्रोलिंग करती थी और भारतीय सेना फिंगर चार से फिंगर आठ तक पैदल पेट्रोलिंग करती थी.
सैन्य सूत्रों ने बताया कि गलवान घाटी में हिंसक झड़क के बाद तनाव बढ़ने पर दोनों पक्षों ने गश्त करना बंद कर दिया है. झड़प से बचने से ही सेना का विघटन बेहतर तरीके से किया जा सकता है. दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाली अब भी एक बड़ा मुद्दा है.
यही कारण है कि अन्य अग्रिम मोर्चों की तुलना में पैंगोंग त्सो में विवाद का समाधान करना अधिक चुनौतीपूर्ण होगा.
अन्य प्राथमिकता का मुद्दा एलएसी फेसऑफ फ्लैशप्वाइंट से सैनिकों और सामग्री को हटाना होगा, जहां भारतीय और चीनी सेना द्वारा काफी संख्या में सैनिक इकट्ठा किए गए हैं. निश्चित रूप से, यह चरणबद्ध तरीके से होगा, क्योंकि बड़े पैमाने पर मोबिलाइजेशन हुआ है.