नई दिल्ली : गुर्दा रोग से पीड़ित मरीज जिन्हें डायलिसिस करवानी पड़ रही है उनको कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा हो सकता है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है. अध्ययन के नतीजों में बताया गया है कि जिन मरीजों के गुर्दे क्षतिग्रस्त हो गए हैं उनको खासतौर से संक्रमण का खतरा बना रहता है और उनमें रोग के लक्षण व संक्रमण ज्यादा तब्दीली देखने को मिल सकती है.
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ-इंडिया के कार्यकारी निदेशक और इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के अध्यक्ष प्रोफेसर विवेकानंद झा के हवाले से कहा गया है कि ऐसे मरीजों (गुर्दा रोग से पीड़ित) की स्थिति अन्य लोगों जैसी नहीं होती क्योंकि इन्हें ज्यादा खतरा होने के बावजूद हर सप्ताह दो या तीन बार डायलिसिस के लिए ले जाना ही पड़ेगा.
इसलिए कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए इनकों दूसरों से अलग-थलग और घर में ही नहीं रखा जा सकता है. लिहाजा, गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों में एक दूसरे से भी संक्रमण का खतरा रहता है और उनसे उनके परिवार के सदस्यों, मेडिकल स्टाफ और कर्मचारी व अन्य लोगों को संक्रमण का शिकार बनने का खतरा बना रहता है.
उन्होंने कहा है कि कोविड-19 (नोवल कोरोना वायरस से उत्पन्न रोग) के संक्रमण में गुर्दा का संबंध अक्सर देखने को मिलता है और जब संक्रमण गंभीर होता है, तो यह मृत्यु दर का एक अलग कारक बन जाता है.
चीन और भारत समेत दुनिया के कई अन्य देशों के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप लिखा गया शोधपत्र 'नोवल कोरोनावायरस 2019 एपीडेमिक एंड द किडनीज' का प्रकाशन 'किडनी इंटरनेशनल' नामक जर्नल में हुआ है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि डायलिसिस के मरीजों के परिजनों को कोविड-19 का संक्रमण परिवार और दूसरे लोगों में फैलने से रोकने के लिए सावधानियों और रोकथाम के तरीकों का पालन सख्ती से करना चाहिए.