दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कोरोना संकट : सुरक्षा को लेकर ना बरतें कोई लापरवाही - corona havoc across the globe

महामारी से बचने के उद्देश्य से लॉकडाउन रणनीति अपनाई थी. दुर्भाग्य से, देश में भी कई उल्लंघनों की सूचना मिली. बैंकों, सुपर बाजारों और किराने की दुकानों पर सामाजिक दूरी का अभ्यास करने के लिए जागरूकता का अभाव दिखा. कोरोना एक संक्रामक रोग है. इसलिए घर पर ही रहें.

photo
प्रतीकात्मक तस्वीर.

By

Published : Apr 21, 2020, 2:15 PM IST

विभिन्न क्षेत्रों में कुछ रियायतों के साथ राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ा दिया गया है. कस्बों में निर्माण कार्य, गांवों में औद्योगिक गतिविधियों और एसईजेड में छूट देने पर असहमति है. तेलंगाना जैसे राज्यों में जहां आईटी क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा एक जगह केंद्रित है, आगे बढ़ने का मतलब है भारी भीड़ और भारी भीड़.

यदि निर्माण गतिविधियां भी पूरी तरह से जारी हैं, तो कोई भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करेगा. सारे प्रयास व्यर्थ हो जाएंगे. व्यापक दिशानिर्देशों के एक हिस्से के रूप में, सरकार ने सभी प्रकार की खेती और कृषि-विपणन गतिविधियों पर लगे प्रतिबंध हटा दिए हैं. किसान समुदाय पहले ही महत्वपूर्ण रबी फसल में एक के बाद एक बाधा का सामना कर चुका है. इसलिए, कृषि क्षेत्र के लिए रियायत एक स्वागत योग्य कदम है. लेकिन इस पर निगरानी जरूरी है.

यदि मनरेगा के कामों को गांवों में फिर से शुरू किया जाता है, तो विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि तबाही मच सकती है. लॉकडाउन के दौरान राष्ट्र को 35,000 करोड़ रु. का दैनिक नुकसान हो चुका है.

इस स्थिति में 40-दिवसीय लॉकडाउन का अर्थ है 14,00,000 करोड़ का नुकसान. जैसा कि केंद्र और राज्यों ने प्रतिकूल आर्थिक परिणामों को देखते हुए आगे बढ़ गए हैं, वर्तमान स्थिति पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने के बाद ही प्रतिबंधों को कम करना सबसे अच्छा है. किसी भी क्षेत्र में लॉकडाउन का पूर्ण रूप से हटाना संकट की अपेक्षा तेज संकट को बढ़ा सकता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने महामारी से बचने के उद्देश्य से लॉकडाउन रणनीति अपनाई थी. दुर्भाग्य से, देश में भी कई उल्लंघनों की सूचना मिली. बैंकों, सुपर बाजारों और किराने की दुकानों पर सामाजिक दूरी का अभ्यास करने के लिए जागरूकता का अभाव दिखा. यदि प्रतिबंध में यह मानकर ढील दी जाती है, कि सबकुछ ठीक हो रहा है, तो स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा.

हैदराबाद की एक महिला चेकअप के लिए एक निजी अस्पताल में गई. लेकिन उसने इस प्रक्रिया में 19 लोगों को संक्रमित कर दिया. दिल्ली में एक पिज्जा डिलीवरी बॉय ने 89 लोगों को संक्रमित कर दिया. वह खुद कोरोना संक्रमित था. निज़ामुद्दीन मर्कज की घटना ने वायरस को फैलाने में उत्प्रेरक का काम किया. सामाजिक भेद नियम की अवहेलना कई लोगों के लिए आत्मघाती साबित हो रहा है.

महाराष्ट्र की दुर्दशा साबित करती है कि एक बार अपने चरम पर पहुंचने पर हम छूत पर नियंत्रण नहीं कर सकते हैं. मुंबई में 1,900 लोग आइसोलेशन में और 200 लोग आईसीयू में भर्ती हैं. इससे वहां की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. अस्पतालों में संक्रमित के इलाज के लिए और जगह नहीं है.

यदि प्रमुख शहरों का यही हाल है, तो क्या ग्रामीण भारत कोई मौका दे सकता है ? जैसा कि कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ नवंबर में एक दूसरे प्रकोप की भविष्यवाणी कर रहे हैं. भारत को अब अपने दृष्टिकोण में लापरवाह नहीं होना चाहिए. जब तक स्थिति पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया जाता है, तब तक सरकार को लोगों के दरवाजे पर दवा, भोजन और स्टेपल जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करनी चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details