चंडीगढ़ : कोरोना योद्धा यानी डॉक्टर देश के लोगों के लिए कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. वह सबसे आगे आकर पहली पंक्ति में इस लड़ाई को लड़ रहे हैं ताकि हमें सुरक्षित रख सकें. लेकिन उनके मन में यह पीड़ा भी है कि लोग कहने के लिए तो उन्हें कोरोना योद्धा कहते हैं, लेकिन सामने आने पर वह उनसे दूर भागते हैं. जिसका उन्हें दुख है. फिर भी वह जी जान से इस लड़ाई में लगे हुए हैं. यह कहना है चंडीगढ़ की डॉक्टर गीतिका सिंह का.
सात साल के बेटे को घर में बंद कर जाती हैं अस्पताल
डॉक्टर गीतिका सिंह ने बताया, 'मैं खुद डॉक्टर हूं, इसलिए मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ता है. ऐसे में मुझे अपने सात साल के बेटे को घर में बंद करके जाना पड़ता है. अपने बेटे को इस तरह अकेला घर में बंद करके जाते हुए मुझे बहुत दुख होता है. लेकिन समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाना भी जरूरी है.'
उन्होंने बताया कि बेटे की देखभाल के लिए उन्होंने कई लोगों से संपर्क किया, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया. कोई भी उनके बेटे को एक घंटे के लिए अपने पास रखने के लिए तैयार नहीं होता. इसलिए मजबूरी में उन्हें अपने सात साल के बेटे को घर में ही बंद करके जाना पड़ता है, लेकिन उन्हें इस बात का कोई मलाल नहीं है क्योंकि वह अपने परिवार से ज्यादा समाज की सेवा को तवज्जो देती हैं और उनके पति भी कोरोना के मरीजों की सेवा में दिन-रात लगे हुए हैं.