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सिर्फ 10 घंटे के अंंदर पूरे अस्पताल में फैल सकता है कोरोना वायरस : अध्ययन

यूसीएल और ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट हॉस्पिटल के एक नए अध्ययन के अनुसार अस्पताल के बिस्तर पर लगी रेलिंग के ऊपर पाया गया वायरस डीएनए 10 घंटे के भीतर आधे वार्ड में पाया गया और कम से कम पांच दिनों तक बना रहा. शोधकर्ताओं ने कृत्रिम रूप से डीएनए के एक वर्ग को एक पौधे से संक्रमित वायरस से बदल दिया, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि कोरोना पूरे अस्पताल में कैसे फैल सकता है.

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Published : Jun 13, 2020, 6:29 PM IST

Updated : Jun 13, 2020, 7:18 PM IST

लंदन : कोरोना वायरस महामारी दुनिया भर में कहर बरपा रही है. ऐसे में एक नए अध्ययन में पता चला है कि वायरस वार्ड में एक जगह से आधे वार्ड में सिर्फ 10 घंटे में फैल सकता है.

जर्नल ऑफ हॉस्पिटल इन्फेक्शन में एक पत्र के रूप में प्रकाशित अध्ययन में यह बात कही गई, जिसका उद्देश्य सुऱक्षित तरीके से यह उजागर करना है कि कैसे कोरोना का कारण बनने वाला एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस अस्पताल की सतहों पर तेजी से फैल सकता है.

इसके लिए शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस का उपयोग करने के बजाय, कृत्रिम रूप से एक पौधे से संक्रमित वायरस से एक अनुभाग डीएनए को बदल दिया, जो मनुष्यों को संक्रमित नहीं कर सकता.

यूनीवर्सिटी कॉलेज हॉस्पिटल (यूसीएल) और ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस का डीएनए एक बेड की रेंलिग से 10 घंटे के भीतर आधे वार्ड में सैंपल की गई सभी जगहों पर पाया गया. साथ ही यह करीब पांच दिन तक बना रहा.

उन्होंने वायरस को एक मिलीलीेटर पानी में मिलाया, यह मात्रा संक्रमित रोगियों के श्वसन नमूनों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस प्रतियों के समान थी.

शोधकर्ताओं ने इस डीएनए युक्त पानी को एक आइसोलेशन रूम में अस्पताल के बिस्तर की हैंड रेल पर रखा था, जो उच्च-जोखिम वाले या संक्रमित रोगियों के लिए था. उसके बाद अगले पांच दिनों में अस्पताल के एक वार्ड के लिए गए नमूनों में यह वायरस 44 जगहों पर पाया गया.

उन्होंने पाया कि 10 घंटे के बाद, वायरस अस्पताल के वार्ड भर में 41 प्रतिशत साइटों तक फैल गया, यह बेड रेलिंग से दरवाजे के हैंडल से लेकर वेटिंग रूम के आर्म रेस्ट से प्ले एरिया में रखे बच्चों के खिलौने और किताबों तक फैल गया.

शोधकर्ताओं ने कहा कि वायरस पहले तीन दिनों में 59 प्रतिशत तक फैल गया, जब कि पांचवे दिन संख्या 41 प्रतिशत तक घट गई.

यूसीएल की लीना सिरिक ने कहा, 'हमारे अध्ययन में महत्वपूर्ण बात सामने आई है कि वायरस के प्रसारण में सतह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और हाथ की स्वच्छता और सफाई का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है. यह पौधों को संक्रमित करने वाला वायरस एक जगह से दूसरी जगह लोगों द्वारा छूने से फैला. वहीं एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति इसे खांसी, छींक और छूकर फैलाता है.

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शोधकर्ताओं ने कहा कि साइटों का उच्चतम अनुपात, जिनका सरोगेट (स्थानापन्न) के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया था, बेडों के आसपास के क्षेत्र से आया था. वायरस कई अन्य बिस्तरों के साथ एक पास के कमरे सहित ट्रीटमेंट रूम में भी पाया गया.

उन्होंने कहा कि इन तीन दिनों में नैदानिक ​​क्षेत्रों में नमूना साइटों के 86 प्रतिशत हिस्से में सकारात्मक परीक्षण किया गया जबकि चौथे दिन क्षेत्र में 60 प्रतिशत नमूना साइटों पर सकारात्मक परीक्षण किया गया.

शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस संभवतः खांसी की बूंदों जैसे शारीरिक द्रव्य से फैल सकता है, जबकि अध्ययन में पानी में वायरस डीएनए का इस्तेमाल किया गया था. अधिक चिपचिपा तरल पदार्थ जैसे बलगम संभवतः अधिक आसानी से इस वायरस को फैला सकता है.

उन्होंने कहा कि अध्ययन में एक कैविएट है, जो यह दर्शाता है कि अगर सतह पर छोड़ दिया जाए तो वायरस कितनी जल्दी फैल सकता है. लेकिन इससे व्यक्ति के संक्रमित होने की संभावना का निर्धारण नहीं हो सकता है.

Last Updated : Jun 13, 2020, 7:18 PM IST

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