भोपाल : दुनिया के 100 से भी ज्यादा देशों में कोरोना वायरस तांडव मचा रहा है. इस वायरस का कहर ऐसा है कि दुनिया भर में करीब दो लाख से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है. ऐसे हालात में सबकी निगाहें सिर्फ एक ही चीज पर अटकी हुई है, कि इस वायरस की वैक्सीन कब तक खोजी जाएगी. लंदन के कैंब्रिज यूनिर्वसिटी में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च कर रहीं डॉक्टर हिमांशा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत कर कोरोना की वैक्सीन और उससे बचने के बारे में बताया.
जिसे तरह एक हारे हुए इंसान को जीतने के लिए थोड़ा सा भी हौसला बहुत होता है, उसी तरह इस इस महामारी में हौसला बनकर सामने आ रही हैं, डॉ. हिमांशा. आपको बता दें ग्वालियर चंबल अंचल की बेटी डॉ. हिमांशा. वे लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च कर रही हैं. हिमांशा को 2017 में सीएसएआर अवार्ड से भी सम्मानित किया चुका है.
पढ़ें खास बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-
सवाल-डॉ. हिमांशा सुनने में आ रहा है कि वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है. इसमें हमारे साइंटिस्ट को कितनी कामयाबी मिली है.
जवाब- इस वक्त पर वैज्ञानिक सभी की आशा बने हुए हैं. अभी तक पांच क्लीनिकल ट्रायल अप्रुव हो चुके हैं. कैंब्रिज भी इस में लगा हुआ है.पर सभी की निगाहें सबसे ज्यादा ऑक्सफोर्ड पर टिकी हुई हैं, इसलिए उम्मीद है कि उनका ट्रायल पहले ज्यादा सफल होगा. वैक्सीन आने में काफी वक्त लगता है.लेकिन एक वैक्सीन डेवलप हो चुकी है, वह काम करती है या नहीं यह परिणाम आने पर पता चलेगा. सितंबर तक वैक्सीन का माश प्रोडेक्शन हो सकता है
सवाल- इस वायरस से बचाव के लिए आपने दो ऐप्स भी तैयार किये हैं. किस तरह के ऐप्स मददगार साबित होंगे.
जवाब-दो ऐप तैयार किए गए हैं.पहला सोशल डिस्टेंस के लिए है और दूसरा वेब प्लेटफॉर्म के लिए है.जो सप्लाई और डिमांड को लेकर बनाई गई है.
इसका नाम है WWW.SOLATE.CO इस एप में आप अगर खाना बांट रहें है, किसी एनजीओ से जुड़े हुए हैं, वॉलिटयर है, तो खुद को रिजस्टर कर सकते हैं. यह मैप को आपक इंट्रेक्टिव मैप पर ले जाएगा, जिसमें आपकी लोकेशन और आपकी जानकारी आ जाएगी, जो आप खुद से डाल सकते हैं. आप खुज चुन सकते हैं कि आपको कौन सी जानकारी डालनी है.
इस एप से यह फायदा है कि अगर घर बैठे आपक खाना पता लगाना है, तो इस ऐप से पता लगाया जा सकता है, इसमें कॉल करके भी जानकारी मिल सकती है. बता दें प्रवासी मजदूरों के लिए यह एप ज्यादा कारगार है.
वहीं दूसरा एप थांबा है, इसका मराठी में मतलब थमना होता है.मतलबकोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए इस ऐप को बनाया गया है. इस ऐप के जरिए घर बैठे भीड़ को पता किया जा सकता है. इस मैप में इंटर करते ही इंट्रक्रेटिव मैप खुलेगा, मैप खुलते ही पता चल जाएगा कि उस एरिया में भीड़ है कि नहीं. इस मैप में भीड़ डॉट के जरिए पता चलेगी. यह मैक आपकी पर्सनल जानकारी और डेटा नहीं लेगी.
सवाल-यह दोनों ऐप बाजार और भारत में कब तक आएंगे.
जवाब-सोलेट को वेब प्लेटफॉर्म में लॉच कर दिया है.किसी भी ऐप के लोगों के सहयोग की जरुरत होती है.सोलेट को वॉलिंटयर, एनजीओ और निगमकर्मी जाकर खुद को रजिस्टर कर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं. जबकि थांबा एक दो दिन में आ जाएगा.