हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना महामारी फैली हुई है. इस महामारी की अब तक दवा नहीं मिल पाई है, हालांकि इस महामारी से निबटने के लिए पूरे विश्व के डॉक्टर और वैज्ञानिक दवा और वैक्सीन खोजने में लगे हुए हैं. दुनियाभर के डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना का एकमात्र समाधान वैक्सीन है.
द वैक्सीन एलायंस के सीईओ डॉ सेठ बर्कले (Seth Berkley) ने कहा कि सिर्फ एक वैक्सीन ही इस महामारी के प्रभाव को कम कर दुनिया को सुरक्षित कर सकती है, जिससे फिर से दुनिया की सामान्य स्थिति बहाल हो सकती है, लेकिन यह जानना आवश्यक है कि एक वैक्सीन विकसित करने में समय और धन दोनों ज्यादा लग सकता है.
वैक्सीन का विकास अनुसंधान, खोज, पूर्व क्लीनिकल जांच और क्लीनिकल ट्रायल कई चरणों से होकर गुजरता है. आम तौर पर इसे विकसित करने में आठ से 15 वर्ष लगते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ठीक ही कहा है कि कोरोना वैक्सीन अनिवार्य है. इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट के मद्देनजर दुनियाभर के अनुसंधान संगठन कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की दौड़ में हैं. उन्हें उम्मीद है कि वह 12 से 18 महीनों में एक वैक्सीन बना लेंगे, लेकिन प्रिवेंटिव मेडिसिन और वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन का तर्क है कि त्वरित वैक्सीन से कोरोना वायरस के संक्रमण को कम किया जा सकता है.
संयुक्त राज्य अमेरिका की संघीय सरकार ने 2021 की शुरुआत में देश के लिए 300 मिलियन कोरोना वैक्सीन खुराक उत्पादन का समर्थन करने के लिए एक ऑपरेशन को गति दी है.
इस वायरस का आधिकारिक नाम SARS-CoV-2 है. इसका पहला मामला दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में मिला था. इस वायरस के मिलने के दो महीने बाद ही अमेरिका और चीन में इसके लिए वैक्सीन का मानव पर परीक्षण किया जाने लगा.
अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी के बाहर आठ संगठन वैक्सीन के अनुसंधान में अग्रणी हैं. वैक्सीन के विकास के लिए क्लीनिकल परीक्षण सबसे जरूरी चरण है. क्योंकि इससे नए वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता की पहचान होती है.
यूएसएफडीए और यूरोपीय एजेंसी अपनी सुरक्षा, स्वच्छता, शक्ति और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के बाद इस टीके को मंजूरी देगी. अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्न ने mRNA-1273 वैक्सीन के देर से चरणीय विकास पर अपनी प्रगति की घोषणा की है.
कंपनी के मुख्य चिकित्साधिकारी टाल जेक्स (Tal Zaks) ने घोषणा की जुलाई 2020 में 30,000 विषयों का चरण तीन पर अध्ययन शुरू होने की उम्मीद है. एक अन्य अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने बायोटेक के साथ मिलकर BNV162 के वैश्विक विकास में तेजी ला रही है, जिससे कोरोना संक्रमण को रोका जा सकता है.