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हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा- कोरोना से मरने वालों के परिजनों को क्या जवाब देंगे

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर हाई कोर्ट ने एक बार फिर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है और कहा है कि हर रोज मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है. रोज कोई न कोई अपने किसी करीबी या परिजन को खो रहा है, आप उन्हें क्या जवाब देंगे.

हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई

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Published : Nov 19, 2020, 6:20 PM IST

नई दिल्लीःदिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना को लेकर केजरीवाल सरकार को फिर फटकार लगाई है. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को क्या जवाब देंगे. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दायर कर यह बताने का निर्देश दिया है कि उन्होंने कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार से जुड़ी व्यवस्थाओं के संबंध में क्या कदम उठाए हैं. मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी.

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा हर रोज मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है. रोज कोई न कोई अपने किसी करीबी या परिजन को खो रहा है, आप उन्हें क्या जवाब देंगे. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि पॉजिटिविटी रेट 14 फीसदी पहुंच गई है. यह काफी चिंताजनक स्थिति है. तब कोर्ट ने कहा कि आप काफी समय के बाद नींद से जागे हैं. कोर्ट ने पूछा कि क्या आप फेलुडा टेस्टिंग तकनीक को अपनाना चाहते हैं. तब दिल्ली सरकार ने कहा कि हां, हम इस पर विचार कर रहे हैं.

'1200 आईसीयू बेड के साथ वेंटिलेटर उपलब्ध कराने की कोशिश'

कोर्ट ने दिल्ली सरकार से आईसीयू बेड की स्थिति के बारे में पूछा. तब दिल्ली सरकार ने कहा कि आईसीयू बेड की कमी नहीं है. हम चाहते हैं कि 1200 आईसीयू बेड के साथ वेंटिलेटर उपलब्ध कराया जाए. फिलहाल वेंटिलेटर के साथ 500 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं. दिल्ली सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार ने 750 आईसीयू बेड उपलब्ध कराने का वादा किया है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि बेड की रियल टाइम उपलब्धता बताने वाला दिल्ली सरकार का पोर्टल काम नहीं कर रहा है. तब कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तत्काल पोर्टल खोलने का आदेश दिया और कहा कि देखिए कि वहां डाटा दिखाई दे रहा है कि नहीं. तब दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमने अभी देखा है, ये काम कर रहा है.

कोर्ट ने कहा कि हमने इस याचिका का दायरा दिल्ली में कोरोना की वर्तमान स्थिति को देखते हुए बढ़ाया था. इन दिनों रोजाना आठ हजार के आस-पास मामले आ रहे हैं. कंटेनमेंट जोन की संख्या 406 तक पहुंच गई है. इस हालात में लोगों के आवागमन के लिए छूट क्यों दी गई है, वो भी तब जब त्योहारों का सीजन है और एयर क्वालिटी काफी खराब है. सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन किया जाए.

'दिल्ली सरकार के दिशा-निर्देशों पर गौर किया'

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली सरकार ने उसकी कई गतिविधियों की अनुमति नहीं दी है जो वर्तमान समय में जरूरी थी. इन गतिविधियों की सूची कोर्ट को सौंपी गई है. कोर्ट ने पाया कि दिल्ली सरकार ने त्योहार के सीजन में अतिरिक्त उपायों को लागू किया है और उसके लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं. कोर्ट ने नोट किया कि दिल्ली सरकार ने शादियों के लिए लोगों के एकत्र होने की सीमा बढ़ा दिया था, लेकिन कल एक आदेश के जरिए इसे कम कर पचास तक की संख्या की गई. कोर्ट ने दीवाली पर पटाखों और छठ पूजा के मौके पर दिल्ली सरकार की ओर से जारी किए गए दिशानिर्देशों पर गौर किया.

'जनसंख्या को देखते हुए प्रवर्तन टीमों की संख्या नाकाफी'

सुनवाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के मसले पर दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा कि कई मोबाइल टीमों का गठन किया गया है और उनके खिलाफ जुर्माना लगाया जा रहा है, जो इसका पालन नहीं कर रहे हैं. 119 प्रवर्तन वाहन हैं जबकि 134 प्रवर्तन टीमें बनाई गई हैं. तब कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की जनसंख्या को देखते हुए ये संख्या नाकाफी है. तब दिल्ली सरकार ने कहा कि दिशा-निर्देश का पालन कराने के लिए दिल्ली पुलिस की मुख्य शाखा है. वे उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ जुर्माना लगा रहे हैं. तब कोर्ट ने कहा कि पिछले एक महीने में केवल पांच लोगों को दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. दक्षिणी और पश्चिमी जिले सर्वाधिक प्रभावित हैं, लेकिन यहां जो जुर्माना लगाया गया है वो काफी कम है.

'आरटी-पीसीआर टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत'

कोर्ट ने कहा कि टेस्टिंग का डाटा बताता है कि आरटी-पीसीआर टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना का तीसरा लहर आ गया है और पांचवा सीरो सर्वे अभी तक नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा कि ये काफी दुखद है कि कोरोना से मरनेवालों की संख्या में काफी उछाल आया है. संक्रमण बढ़ने पर स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोझ बढ़ना तय है. आप आईसीयू बेड बढ़ाने को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें.

इसके अलावा सांस्थानिक क्वारंटाइन और आइसोलेशन के लिए बेड बढ़ाने पर भी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. कोर्ट ने कहा कि शवों को दफनाने के लिए कब्रगाह और श्मशान घाटों पर काफी भीड़ है. रात तक लोग शवों को जला रहे हैं. क्या आपको इसका पता है. आप सभी श्मशान घाटों और कब्रगाहों पर सुविधाओं को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दायर कीजिए.

'क्या आप कोरोना के दोगुना होने का इंतजार कर रहे हैं'

पिछले 11 नवंबर को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए उसके पिछले दिशानिर्देशों के मुताबिक और वर्तमान स्थिति के मद्देनजर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने दिल्ली को अनलॉक करने को लेकर दिल्ली सरकार से पूछा था कि दूसरी राज्य सरकार जहां कोरोना को लेकर सख्त हैं, वहीं दिल्ली को लगातार अनलॉक किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में रोजाना कोरोना के मामले आठ हजार से ऊपर मिल रहे हैं. क्या आप कोरोना के दोगुना होने का इंतजार कर रहे हैं.

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'याचिकाकर्ता को कोरोना होने पर न बेड मिला न अस्पताल'

11 नवंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता राकेश मल्होत्रा ने कहा था कि उन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ और उन्हें न तो बेड मिला और न ही कोई अस्पताल. एक दोस्त की मदद से उन्हें एक नर्सिंग होम में भर्ती किया गया जहां एक ऑक्सीमीटर के अलावा किसी ने कोई मदद नहीं की. याचिका में निजी और सरकारी अस्पतालों और लैब्स में कोरोना की पर्याप्त टेस्टिंग करने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है.

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