दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

किन्नर और परी अखाड़े को लेकर अखाड़ा परिषद में दो फाड़, कुंभ से पहले तकरार - किन्नर अखाड़ा

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी जहां परी और किन्नर अखाड़ा को प्रतिबंध करने पर विचार रहे हैं, तो वहीं अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने उनके इस विचार का विरोध किया है.

Controversy in Akhil Bharatiya Akhara Parishad
Controversy in Akhil Bharatiya Akhara Parishad

By

Published : Jan 3, 2021, 9:06 PM IST

हरिद्वार : धर्मनगरी हरिद्वार में अभी महाकुंभ शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन अखाड़ों में अभी से ही तकरार शुरू हो गई है. प्रयागराज में हुई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में किन्नर अखाड़ा और परी अखाड़े पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले के बाद अखाड़ा परिषद में दो फाड़ नजर आ रहे हैं.

दरअसल, एक तरफ जहां अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी परी और किन्नर अखाड़ा को प्रतिबंध करने की बात कर रहे हैं, तो वहीं अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने किन्नर अखाड़े का समर्थन किया. इस पर किन्नर अखाड़े की आचार्या महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की प्रतिक्रिया अब सामने आई है. उनका साफ तौर पर कहना है कि हरिद्वार कुंभ में किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान करेगा.

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का बयान

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अपने बयान में कहा कि पिछले दिनों प्रयागराज में हुई बैठक में कुछ चुनिंदा लोगों ने किन्नर अखाड़े के ऊपर कटाक्ष करते हुए कुछ शब्द कहे हैं. उन सभी शब्दों का वह नकारती है.

उन्होंने कहा कि किन्नरों का वजूद आज से नहीं बल्कि आदिकाल से है. किन्नर सत्य सनातन धर्म के परे थे, उन्हें किसी भी तरह के प्रमाण-पत्र और मान्यता की जरूरत नहीं है. किन्नर अखाड़ा गठित होने से बाद 2019 में जूना अखाड़े ने पुरुषार्थ दिखाते हुए किन्नर अखाड़ा को अपना बनाया और किन्नर अखाड़ा को साथ लेते हुए शाही स्नान किया. 2021 में भी हरिद्वार महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा शाही स्नान करेगा.

पढ़ें-महाकुंभ: शाही स्नान में क्यों नहीं होती VIP की एंट्री, क्या है इससे जुड़ा पंडित नेहरू का नाता?

महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि वह हरि गिरि महाराज और संपूर्ण जूना अखाड़े को नमन करती हैं. उन्होंने बदलते समय में सनातन से जुड़े लोगों को अपने साथ रखा हुआ है और उन्हें अपने साथ लेकर चल रहीं हैं. दूसरे अखाड़ों को जूना अखाड़े से सीख लेनी चाहिए. अपने धर्म से कोई भी विमुक्त न हो जाए इस ओर ध्यान देना चाहिए. किन्नर अखाड़े पर कोई आरोप और कटाक्ष करने की जरूरत नहीं है. इन सब परिस्थितियों के साथ जीना उन्हें बचपन से आता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details