पटना :बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जदयू और भाजपा के बीच विवाद सतह पर आने लगे हैं. चुनाव के नतीजों ने भाजपा को जहां बड़ा भाई बना दिया है वहीं जदयू हार के लिए भाजपा को कटघरे में खड़ा कर रही है. इसके बावजूद दोनों पार्टियां काफी हदतक तालमेल बैठाने की कोशिश में लगी थी और गठबंधन के लोग बार-बार ये कह भी रहे थे कि हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. ऊपरी तौर पर दिख भी यही रहा था, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच दिल में लगी आग उस वक्त भड़क गई जब बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के 6 विधायकों को अपनी ओर खीच लिया.
इस घटना के बाद जेडीयू और बीजेपी के बीच की अंदरूनी कलह सामने आने लगी. दोनों के बीच बयानबाजी और जले पर मरहम लगाने का दौर शुरू हो गया. बीजेपी ने बहुत कोशिश की कि जेडीयू इस घटना को हलके में ले, लेकिन जेडीयू जो 15 साल से बड़े भाई की भूमिका में थी कब चुप रहने वाली थी.
राष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख कमजोर होते देख जेडीयू भड़क गई. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने सख्त लहजे में कहा कि बीजेपी ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया. इस बैठक के बाद जदयू ने आर-पार की लड़ाई के संकेत भी दे ही दिए.
जदयू ने भाजपा के खिलाफ कई फ्रंट पर खोला मोर्चा
बिहार विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद जदयू खेमे में निराशा थी. नीतीश कुमार भी संख्या बल को देखते हुए मुख्यमंत्री बनने को तैयार नहीं थे. लेकिन भाजपा के अनुरोध के बाद उन्होंने कुर्सी संभालने का फैसला किया. सीट बंटवारे से लेकर सरकार के गठन तक दोनों दलों ने कई उतार-चढ़ाव देखे और जदयू आखिरकार सरकार में रहते हुए छोटे भाई की भूमिका में आ गई.
'एलजेपी के कारण कमजोर हुई जेडीयू'
जदयू का मानना है कि नीतीश कुमार साख के नेता हैं न तो उनकी साख में बट्टा लगा है न ही वोटों के प्रतिशत में कमी आई है. लोक जनशक्ति पार्टी को कंट्रोल नहीं कर पाने के वजह से बिहार में एनडीए को नुकसान हुआ है. जदयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भाजपा और जदयू के बीच विवाद खुलकर सामने आने लगे. जदयू कई मोर्चों पर आक्रामक दिखाई देने लगी. अरुणाचल प्रदेश में जदयू में टूट कार्य समिति के बैठक में छाया रहा. पार्टी की ओर से कहा गया कि भाजपा ने अटल धर्म का पालन नहीं किया. जदयू के 6 विधायकों को भाजपा में शामिल करा लिया.
पढ़ें- राजकोट को एम्स की सौगात, पीएम मोदी 31 दिसंबर को रखेंगे आधारशिला