नई दिल्ली : सर्दियों की शुरुआत से पहले एक बार फिर दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. इसमें पराली जलाए जाने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अलग-अलग दावे किए हैं. इस संबंध में पर्यावरणविद और किसानों के भी अपने-अपने पक्ष हैं. पंजाब में किसानों ने पराली जलाने को लेकर सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है.
वायु प्रदूषण में पराली व अन्य कारकों की क्या भूमिका है, इस संबंध में 'सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरमेंट' (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि सरकारें अपने स्तर से आपातकालीन कदम उठा रही हैं, लेकिन इसके लिए ठोस और स्थायी उपाय किए जाने चाहिए. पढ़ें पांच महत्वपूर्ण सवालों के जवाब-
सवाल: वायु प्रदूषण बढ़ने में पराली जलाने के योगदान को लेकर केंद्र एवं दिल्ली सरकार में बहस देखने को मिली है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सर्दियों के समय प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में पराली का जलाया जाना है?
जवाब: सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि तापमान कम होता है और हवा थम जाती है. जिससे प्रदूषक कण जम जाते हैं. हवा में गति नहीं होने से प्रदूषण हट नहीं पाता है. वाहनों, ऊर्जा संयंत्रों, निर्माण गतिविधियों से उत्पन्न प्रदूषक तत्व भी नहीं हट पाते हैं. पराली जलाने का काम अक्टूबर-नवंबर के बीच होता है. इस पर नियंत्रण करना होगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पराली ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का एकमात्र कारण है. पराली को लेकर सख्त कदम उठाने होंगे, लेकिन इसके साथ ही दूसरे स्रोतों पर नियंत्रण करना भी जरूरी है.
सवाल: अब तक हुए अध्ययनों के हिसाब से इस मौसम के दौरान दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण में पराली जलाने का कितना योगदान है?
जवाब: जब पराली जलती है तो हवा की गति और दिशा पर निर्भर करता है कि धुएं का असर दिल्ली या किसी दूसरे स्थान पर कितना होगा. जो आंकड़े मौजूद हैं, वे दिखाते हैं कि प्रदूषण बढ़ने में पराली जलने का योगदान चार से 30 फीसदी तक हो सकता है. पराली प्रदूषण बढ़ने का स्थायी स्रोत नहीं है. गाड़ियां, निर्माण कार्य, कचरा जलाया जाना और कुछ अन्य औद्योगिक गतिविधियां ऐसे स्थायी स्रोत हैं जिनसे पूरे साल प्रदूषण होता है.
सवाल: यह कोविड महामारी का समय है और प्रदूषण लोगों की चिंता बढ़ा सकता है. ऐसे में बतौर पर्यावरण विशेषज्ञ आपका क्या अनुमान है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रदूषण की स्थिति कैसी होगी?