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निरंतर शिक्षा ही सही शिक्षा है - 26 लाख रोबोट

विश्व ने अब तक तीन औद्योगिक क्रांति के दौर देखे हैं और अब चौथे औद्योगिक क्रांति से काफी गहरे आर्थिक और सामाजिक बदलाव देखने को मिलेंगे. दुनियाभर के कारखानों में कुल 26 लाख रोबोट काम कर रहे हैं. अमेरिका में 45% नौकरियां आने वाले समय में ऑटोमेटड होने वाली हैं. ऐसे समय में जब पल पल तकनीकी विकास और बदलाव हो रहे हैं, हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को भी बदलने की जरूरत है.

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निरंतर शिक्षा ही सही शिक्षा है

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Published : Nov 26, 2019, 7:48 AM IST

Updated : Nov 26, 2019, 8:05 AM IST

विश्व ने अब तक तीन औद्योगिक क्रांति के दौर देखे हैं और अब चौथे औद्योगिक क्रांति से काफी गहरे आर्थिक और सामाजिक बदलाव देखने को मिलेंगे. दुनियाभर के कारखानों में कुल 26 लाख रोबोट काम कर रहे हैं. अमेरिका में 45% नौकरियां आने वाले समय में ऑटोमेटड होने वाली हैं. ऐसे समय में जब पल पल तकनीकी विकास और बदलाव हो रहे हैं, हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को भी बदलने की जरूरत है.

1780 में जेम्स वॉट के भाप का इंजन बनाने के बाद से दुनिया में तीन औद्योगिक क्रांति हो चुकी हैं। चौथी क्रांति अब जारी है. नवीनतम तकनीक हमारे जीवन और जीने के तरीकों को बदल रही हैं. इंसान को इंसान से जोड़ने के साथ ही तकनीक इंसान को मशीनों से भी जोड़ रही है, जहां दुनिया भर में 26 लाख रोबोट काम कर रहे हैं, इससे ये अंदाजा साफ लगाया जा सकता है कि इस चौथी औद्योगिक क्रांति का स्वरूप कैसा होगा.

ताजा तकनीक, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डाटा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3डी प्रिंटिंग, ब्लॉक चेन, मशीन लर्निंग आदि दुनिया का चेहरा बदल रही हैं. बैंक पहले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अपने ग्राहकों की क्रेडिट एनालिसिस कर रहे हैं. लोन देने के मामलों में मैनेजरों की जगह बिग डाटा एनालिसिस का इस्तेमाल किया जा रहा है. कुछ संस्थानों में रोबोट वकीलों ने इंसानी वकीलों की जगह भी ले ली है.

कर्मचारियों की तन्खवा और कंपनियों के बही खाते ऑटोमेटेड हो गये हैं. ऑटोमेशन की मदद से कंपनियों की पर्फॉर्मेंस, प्रोडक्टिविटी और मुनाफा बड़ने लगा है. चौथे औद्योगिक क्रांति में बिग डाटा के कारण ये अनुमान है कि दुनिया की जीडीपी 2030 तक 14% बड़ जायेगी. प्राइस वॉटर हाउस कूपर के मुताबिक ये बढ़ोत्तरी करीब 15.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर होगी.

अमेरिका में 45% नौकरियां ऑटोमेशन के कारण जाने वाली हैं. भारत में ऑटोमेशन आने मे थोड़ा ज्यादा समय लगेगा क्योंकि यहां लेबर सस्ती और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध्द है. मैकिंसी ग्लोबल के अनुमान के मुताबिक 2030 तक दुनियाभर में ऑटोमेशन के चलते 15% नौकरिया चली जायेंगी. जहां ऑटोमेशन के कारण कई नौकरियां कम होंगी, वहीं इसके कारण कई नई नौकरियों के मौके भी बनते हैं. फिलहाल लोग इन नई नौकिरयों के मौकों को देख नही पा रहे हैं. अनुमान के मुतााबिक मौजूदा कर्माचिरयों में से 8-9% लोग नये सिस्टम का भी हिस्स होगें.

डोर टू डोर डिलिवरी, ड्राइवर, और बही खाते लिखने वाले लोगों की मांग बढ़ेगी. ऐसे कई मौके होंगे जब अलग अलग देशों के एक्सपर्ट एक साथ एक प्रोजेक्ट पर काम करेंगे. धीरे धीरे ऑर्गनाइस्ड और अन ऑर्गनाइस्ड सेक्टर के बीच का फर्क कम होता जायेगा. ग्लोबल डेवेलपमेंट ग्रुप के अनुसार इस समय दुनियाभर में 350 करोड़ काम करने वाले लोग हैं. इनमे से महज तीन फीसदी ही फ्रीलांसर की तरह काम कर रहे हैं.

धीरे धीरे क्रियेटिविटी की मांग के चलते रोबोट कम स्किलड नौकरियों को करने लगेंगे. आने वाले समय में कार्य क्षेत्र में वो लोग ही कामयाब होंगे, जिनके पास एनालिटिकल स्किल, क्रिटिकल थिंकिंग, प्रॉबलम सॉल्विंग, और निर्णय लेने की क्षमता हो. ओईसीडी की रिपोर्ट यह बता चुकी है कि जिन लोगों के पास क्रियेटिव, तकनीकी और मैनेजमेंट स्किल होंगे वो आने वाले नौकिरयों के माहौल में तरक्की की ऊंचाईयां पा सकेंगे.

एक समय में तकनीकी विकास होने में दशकों का समय लग जाता था, मगर अब ये महज महीनों में सिमट गया है. नौकरियों में बने रहने के लिये ये जरूरी है कि समय समय पर अपने स्किल सेट को बढ़ाया जाता रहे. जब तक एक छात्र इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी करता है, तब तक पुरानी नौकरियां नई नौकरियों से बदल जाती हैं इसलिये कॉलेज में की गई पढ़ाई के साथ ही अपने को लगातार मौजूदा समय के अनुसार तैयार रखना बेहद जरूरी है. लेकिन हमारा शिक्षा तंत्र अभी भी पुराने पाठ्यक्रमों के कारण पिछड़ा हुआ है. हमारा मौजूदा शिक्षा का तरीका ऐसा है कि टीचर पढ़ाते हैं, औऱ छात्र सुनते हैं. इनमे कुछ जल्दी सीखते हैं और कुछ देर से.

लेकिन पढ़ाई के तरीके हर छात्र के हिसाब से नही बने हैं. हर छात्र को एक ही परीक्षा देनी पड़ती है. ज्यादा अंक याद करने वाले छात्रों को मिलते हैं, न कि समझने वाले छात्रों को. मौजूदा शिक्षा का तरीका पहले औद्योगिक क्रांति के समय विकसित किया गया था. उस समय क्लर्क और फैक्ट्री मजदूरों की जरूरत ज्यादा थी, लेकिन ये तरीका चौथे औद्योगिक क्रांति के लिहाज से सही नही है.

टीचर और छात्रों को वर्तमान में हो रहे तकनीकी विकास के साथ कदम मिलाने की जरूरत है. आने वाले दिनों में कॉलेज शिक्षा का तरीका खत्म हो जायेगा. पहले से पढ़ाई करना, ग्रुप डिस्कशन, टीम वर्क के जरिये समस्या का समाधान निकालना,ऑनलाइन टीचिंग आदि आने वाले दिनों में शिक्षा के नये तरीके होंगे. अलग अलग तरीकों से जानकारी हासिल करने से छात्र, शिक्षक और छात्र दोनो भूमिकाओ में आ जायेगा.

आर्टिफिशियल लर्निंग, वर्चुएल रियेलिटी आदि पढ़ने और पढ़ाई के तरीकों को पूरी तरह बदल देंगी। छात्रों के रुझान को समझने वाली मैक ग्रॉ हिल की स्मार्ट बुक्स अब बाजार में आ चुकी हैं. चौथी औद्यगिक क्रांति में शिक्षा के जरिये ऐसे छात्रों को विकसित किया जायेगा जो समाधान तलाशने के लिये ट्रेंड हो न कि नौकरियां तलाशने के लिये. ये ऐसे लीडर बनायेगा जो जटिल परिस्थितियों में भी शांत रहे और फोकस रहे. उच्च शिक्षा संस्थान, बच्चों की खुद की क्षमता और रुझान को ध्यान में रखकर पढ़ाई के तरीके विकसित करेंगे.

शैक्षिक संस्थानों के लिये जरूरी है कि वो अपने छात्रों को मौजूदा जरूरतों और समाज के हिसाब से इंटर्नशिप करायें. छात्रों को ज्यादा से ज्यादा प्रोजेक्ट पर काम करने के लिये उत्साहित करना चाहिये. इसके साथ ही करियर को लेकर समय समय पर दिशा दिखाने की भी जरूरत है. पढ़ाई करने के साथ सभी छात्रों को काम करने का मौका भी देना चाहिये. पहले से काम कर रहे छात्रों को दोबारा इनरोल करने का प्रवधान भी होना चाहिये. सही कोर्स का चुनाव कर नौकरी करना, और जरूरत पड़ने पर दोबारा पढ़ाई करने का विक्लप खुला होना चाहिये. यही चौथी औद्योगिक क्रांति का भाव होगा.

Last Updated : Nov 26, 2019, 8:05 AM IST

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