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विशेष : निर्माण क्षेत्र को संकट में डाल रहा स्टील-सीमेंट का कार्टेल

कोरोना संकट के बीच उद्योग-धंधों में मंदी छाई हुई है. ऐसे में सीमेंट और स्टील उद्योगों द्वारा अचानक ही कीमतों में इजाफा कर देना समझ के परे है. इससे निर्माण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होगा. खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसके प्रति आगाह किया है. उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी स्टील-सीमेंट में कार्टेल की वजह से हो रही है. समय की मांग है कि ऐसी प्रवृत्ति के खिलाफ कड़ाई से कार्रवाई हो. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jan 12, 2021, 8:22 PM IST

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स्टील-सीमेंट का कार्टेल

हैदराबाद :निर्माण क्षेत्र के लिए स्टील और सीमेंट प्रमुख अवयव हैं. लेकिन अचानक से ही इन दोनों की कीमतों में बढ़ोतरी हो गई. सीमेंट की कीमत 420-430 रुपये प्रति 50 किलोग्राम हो गई. पिछले साल इसकी कीमत 349 रुपये प्रति बैग थी. एक साल के भीतर स्टील की कीमत 40,000 रुपये से बढ़कर 58,000 रुपये प्रति टन हो गई.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में स्टील कंपनियों द्वारा किए गए सभी दावों को खारिज कर दिया है कि लौह अयस्क की बढ़ती लागत के कारण मूल्य वृद्धि अपरिहार्य थी. मूल्य वृद्धि के पीछे के रहस्य को उजागर करते हुए, गडकरी ने कहा है कि देश की लगभग सभी प्रमुख इस्पात कंपनियों की अपनी लौह अयस्क खदानें हैं. उन्होंने कहा कि स्टील निर्माताओं ने कार्टेल बना रखा है. बिजली की कीमत और श्रम मजदूरी स्थिर बनी हुई है.

क्रेडाई ने पीएम को लिखा था पत्र
संसदीय स्थायी समिति सीमेंट कंपनियों को कीमत बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहरा चुकी है. समिति ने इसके लिए अलग व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया था, जो इनकी कीमतों को विनयमित कर सके. कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल-एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) ने 18 दिसंबर, 2020 को पीएम को एक पत्र लिखा था. उसका कहना था कि कीमत बढ़ाने के लिए सीमेंट और स्टील कंपनियां एक दूसरे का सहयोग करती हैं. यह बहुत ही बुरी प्रवृत्ति है.

इसके बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक नियामक निकाय की स्थापना की अनिवार्यता पर जोर दिया. गडकरी ने निर्माताओं द्वारा भारी मुनाफे को खत्म करने के लिए अपने माल की कृत्रिम मांग बनाने की प्रवृत्ति की भी खुले तौर पर आलोचना की. समय की मांग है कि इस स्थिति को जल्द से जल्द ठीक किया जाए.

कीमतों में वृद्धि की आलोचना
बिल्डर्स एसोसिएशन ने कीमतों में वृद्धि की तीखी आलोचना की है. एसोसिएशन का कहना है कि हमलोग कोविड के कारण पहले से ही संकट का सामना कर रहे हैं. ऊपर से बिल्डिंग मैटेरियल की कीमतों में इजाफा होगा, तो निर्माण का काम प्रभावित होगा.

वर्तमान में, भारत चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा सीमेंट निर्माता है. 2019-20 में घरेलू सीमेंट का उत्पादन 32.9 करोड़ टन तक पहुंच गया. वर्ष 2022-23 तक इसके 38 करोड़ टन के पार जाने की उम्मीद है. तब तक मांग 37.9 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2025 तक देश की अधिकतम उत्पादन क्षमता लगभग 55 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी. फिर कीमतें क्यों बढ़ीं?

गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर स्टील और सीमेंट के दाम बढ़ते रहेंगे, तो 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना मुश्किल होगा. उन्होंने अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य बताया है.

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सीमेंट और स्टील की कीमतों में बेलगाम वृद्धि मध्यम वर्ग के आदमी के अपने घर होने के सपने को बदल रही है. वर्ष 2016 में, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अनैतिक व्यापार प्रथाओं के माध्यम से मूल्य में अंधाधुंध वृद्धि का सहारा लेने के लिए सीमेंट कंपनियों पर 6000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. हालांकि, अब तक केवल 10 प्रतिशत जुर्माने का ही भुगतान किया गया था. मामला अदालत में लंबित है.

नियामक तंत्र के अभाव में अनैतिक मूल्य वृद्धि के रूप में लूट एक आम बात हो गई है. सीमेंट और स्टील की कीमत में नवीनतम वृद्धि से निर्माण लागत में 200 रुपये प्रति वर्ग फीट की वृद्धि हुई है. जीवन को बचाने वाली दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने वाले नियामक तंत्र की तरह, सरकार को भी ऐसे उपायों की शुरुआत करनी चाहिए जो निर्माण क्षेत्र में जीवन की सांस लेंगे, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा. व्यापार पर एकाधिकार करने की प्रवृत्ति को कड़ाई से निपटना चाहिए.

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