नई दिल्ली : पीएम मोदी देश की जनता से बात करने के लिए प्रत्येक महीने रेडियो के माध्यम से 'मन की बात' करते हैं. मोदी के इस कार्यक्रम की तर्ज पर आज से कांग्रेस ने भी सोशल मीडिया पर 'देश की बात' कार्यक्रम की शुरुआत है. कांग्रेस द्वारा किए जा रहे इस कार्यक्रम का पहला एपिसोड कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा द्वारा आज सुबह 11 बजे प्रस्तुत किया गया. इस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा और मीडिया पर निशाना साधा. इसके साथ ही देश की आर्थिक स्थिति से लेकर मोदी की 'मन की बात' पर जमकर गरजते दिखे.
उन्होंने कहा चुनाव बीतने के बाद सत्ता पक्ष का काम होता है कि वह जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाए और विपक्ष का काम सरकार से जवाबदेही करना है उनसे प्रश्न पूछती रहे और देश की बात उठाती रहे.
हमने मन की बात बार-बार सुनी है. आपके मन के अन्दर कई बात है कई मुद्दों पर आप अपना रोष प्रकट करना चाहते हैं, विचार रखना चाहते हैं तो आपकी बात रखेगा आपका विपक्ष जिसको आप ने वोट दिया है.
पवन ने कहा कि लोकसभा चुनाव खत्म हुए चार महीने हो गए है. हमने बार-बार सरकार से बेरोजगारी और आर्थिक मंदी पर सवाल किया. बैकों में लोगों का पैसा सुरक्षित नहीं है. जो पैसा बैंको में सुरक्षित नहीं है, सरकार ने उस विषय में क्या कदम उठाया हमने इस पर भी प्रश्न किया.
पवन खेड़ा ने कहा, 'राज्यों के चुनाव आते ही आप दुनिया भर की बात करते हैं. लोगों को बांटने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. आपके नेता एनआरसी जैसे मुद्दे पर लोगों को बांटने लगते हैं. आप विपक्ष को चेतावनी देते हैं कि आपकी सरकार बनेगी तो अनुच्छेद 370 के फैसले को बदल कर बताइएगा. हम आपको चेतावानी देते हैं कि आप सत्ता में हैं, तो पीएमसी खाता धारकों के पैसा वापस करके दिखाईए तब हम आपको जानेंगे.'
उन्होंने आगे कहा, 'कितनी बार आप लोगों को गुमराह करेंगे. आप हमेशा मन की बात करते हैं, कभी मनमोहन की बात भी सुन लेते हैं. वो अर्थशास्त्री हैं. लेकिन यहां तो सब अनर्थशास्त्री हैं तो देश की आर्थिक स्थिति की ये स्थिति नहीं होती.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'जब हमारी सरकार थी तो मीडिया सरकार के खिलाफ प्रश्न पूछती थी. मीडिया का काम सरकार से प्रश्न पूछना है लेकिन अब वो क्यों नहीं पूछती है. आप कहते नहीं कि अबकी बार 75 पार. मीडिया उस नारे को दुहराने लगती है. मीडिया को पूछना चाहिए कि 75 पार में डॉलर, पेट्रोल या टमाटर के दाम पार हैं. भाजपा शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं. मीडिया को तो आकड़ें निकालने चाहिए.'
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