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मोदी सरकार पर कांग्रेस का हमला, कहा- 'सुप्रीम कोर्ट में बताई गईं नई परिभाषाएं' - migrant labourer issue

कांग्रेस मीडिया सेल के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों के मामले पर हुई सुनवाई के हवाले से मोदी सरकार पर 'नई परिभाषाएं' बताने का आरोप लगाया है. उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट में पीठ को बदले जाने पर भी सवाल खड़े किए हैं.

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सुरजेवाला

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Published : May 29, 2020, 10:01 AM IST

Updated : May 29, 2020, 11:21 AM IST

नई दिल्ली : प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को कई अहम निर्देश दिए हैं. गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने केन्द्र की प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की और कहा कि एक से 27 मई के दौरान इन कामगारों को ले जाने के लिए कुल 3,700 विशेष ट्रेन चलायी गई.

तुषार मेहता ने कहा कि सीमावर्ती राज्यों में अनेक कामगारों को सड़क मार्ग से पहुंचाया गया. उन्होंने कहा कि बुधवार तक करीब 91 लाख प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक घरों तक पहुंचाया गया है. इस मामले की सुनवाई के बारे में सुरजेवाला ने कहा है कि बहस के दौरान केंद्र सरकार ने नई परिभाषा गढ़ने की कोशिश की है.

सुरजेवाला का ट्वीट

सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार की नई परिभाषाएं; 1. कुछ उच्च न्यायालय एक पैरेलल गवर्नमेंट चला रहे हैं, 2. सरकार की आलोचना करने वाले 'कयामत के पैगम्बर' (prophets of doom) हैं, 3. पत्रकार का उदाहरण एक गिद्ध के रूप में दिया.'

बकौल सुरजेवाला, यह 'निरंकुशता और संविधान त्याग' करने की एक प्रस्तावना !' है.

एक अन्य ट्वीट में सुरजेवाला ने लिखा, 'कोई आश्चर्य नहीं कि गुजरात सरकार को ड्यूटी में लापरवाही और अस्पताल को 'कालकोठरी' में तब्दील करने के लिए जवाबदेह ठहराने वाली बेंच को अचानक बदल दिया गया.'

गुजरात हाईकोर्ट में बदलाव पर सुरजेवाला का ट्वीट

उन्होंने सवाल किया कि क्या न्याय का इससे बड़ा दोष हो सकता है? सुरजेवाला ने लिखा, 'न्याय के इस तरह के विनाश पर सुप्रीम कोर्ट चुप क्यों है?'

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के कारण पलायन कर रहे प्रवसी मजदूरों की दुर्दशा का स्वत: संज्ञान लिया है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में निर्देश दिया कि श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने के लिये उनसे ट्रेन या बसों का किराया नहीं लिया जाए. कोर्ट ने कहा कि मजदूरों को घर पहुंचाने का खर्च राज्य वहन करे.

यह भी पढ़ें: राज्य सरकारों की है प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की जिम्मेदारी : सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि जिस राज्य से मजदूर चलेंगे वहां स्टेशन पर उन्हें खाना और पानी मुहैया कराने की जिम्मेदारी संबंधित प्रदेश सरकार की होगी, जबकि ट्रेन में सफर के दौरान इसे रेलवे को उपलब्ध कराना होगा.

Last Updated : May 29, 2020, 11:21 AM IST

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