नई दिल्ली : कांग्रेस ने संसद से हाल ही में पारित श्रम सुधार सहित संबंधी तीन विधेयकों को मजूदर विरोधी करार देते हुए शनिवार को दावा किया कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर अपने निर्णय थोपना इस सरकार के डीएनए में है और इन संहिताओं को लेकर भी यही किया गया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी कहा कि इन संहिताओं के विरोध में कांग्रेस सड़क पर उतरेगी और मजदूरों के हित सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी.
श्रम सुधार संहिता संबंधी तीन विधेयकों को एक नजर में जानें
राज्य सभा ने गत बुधवार को उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को मंजूरी दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को हटाने की अनुमति होगी. लोक सभा ने इन तीनों विधेयकों को मंगलवार को पारित किया था.
'प्रधानमंत्री को गरीबों का दर्द समझना चाहिए'
पूर्व केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा कि सरकार का कहना है कि कारोबारी सुगमता के लिए ये संहिताएं लाईं गईं. सरकार की यह बात सत्य से दूर है, क्योंकि 2014 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा था कि कारोबार जगत के सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को कानून में थोड़े बदलाव की जरूरत लगती है और उन्हें ही मौजूदा कानूनों से दिक्कत है. खड़गे ने दावा किया कि सरकार ने किसानों से जुड़े विधेयकों की तरह इन संहिताओं में भी विपक्ष को संशोधन का मौका नहीं दिया.