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कृषि सहायता उपायों को लेकर कांग्रेस का केंद्र पर निशाना

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा कृषि सहायता उपायों को लागू करने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है. पंजाब कांग्रेस कमेटी के प्रमुख ने कहा है कि सरकार की घोषणा से किसानों को झटका लगा है. सरकार किसानों की समस्याओं पर कोई भी संज्ञान नहीं ले रही है. पढ़ें विस्तार से....

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पंजाब कांग्रेस कमेटी के प्रमुख सुनील जाखड़

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Published : Jun 2, 2020, 10:46 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा कृषि सहायता उपायों को लागू करने के लिए रोडमैप तैयार करने के एक दिन बाद कांग्रेस पार्टी ने घोषणाओं को कृषि क्षेत्र के लिए एक झटका बताया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार अब किसानों को 'आत्म-निर्भार' मान रही है.

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख सुनील कुमार जाखड़ ने एक प्रेस वार्ता के दौरान केंद्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों को कैबिनेट की घोषणाओं से झटका लगा है. यह किसान कोरोना संकट में एक 'अज्ञात योद्धा' की भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन सरकार ने इसका संज्ञान नहीं लिया.

ईटीवी भारत द्वारा पूछे गए एक सवाल पर जाखड़ ने कहा कि अगर सरकार ने इन गरीब प्रवासी मजदूरों के हाथों में बहुत पहले पैसा दिया होता, तो उनमें से 60-70% रुक जाते. इससे उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि होती और हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता. इन श्रमिकों के अनुभव और कौशल का कोई विकल्प नहीं है.

उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को कर्ज लेने के लिए पीएम की सलाह कुछ ऐसी है जो दुश्मन भी किसी को नहीं देंगे. जब तक पीएम अपने 'मन की बात' खत्म करते हैं, तब तक किसान कर्ज के कारण आत्महत्या कर लेता है.

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा त्रासदी और सेल्फ रिलायंस में एक अवसर खोजने की बात की. शायद इन किसानों को आत्मनिर्भर मान लिया गया है, क्योंकि सरकार द्वारा उन्हें कोई राहत नहीं दी जा रही है. जाखड़ ने कृषि लागत और मूल्य आयोग के बारे में भी सवाल किया कि सरकार ने उसकी रिपोर्ट को प्रकाशित करने से इनकार क्यों किया है.

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कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ाना व्यर्थ की कवायद है, जब तक कि उन कीमतों पर फसलों की खरीद नहीं होगी. उन्होंने कहा कि जहां सुधारों के मसौदे की बात की जा रही है, अगर भाजपा सरकार सुधार करना चाहती है, तो उन्हें संसद, राज्य सरकारों और कृषि हितधारकों के साथ इन सुधारों पर चर्चा करनी चाहिए.

प्रवासी मजदूरों के बड़े पैमाने पर पलायन पर उन्होंने कहा कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पहले, धान रोपाई 3000 रुपए प्रति एकड़ हुआ करती थी, लेकिन अब यह 6,000 पर पहुंच गई है.

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