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CAA के खिलाफ अब भी एकजुट हैं विपक्षी पार्टियां : कांग्रेस - नागरिकता संशोधन कानून

कांग्रेस पार्टी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) सहित अन्य मुद्दों पर सोमवार को विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई थी. लेकिन तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी सहित छह प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने बैठक में भाग नहीं लिया. इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत ने कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश कुमार से बातचीत की. जानें क्या कुछ कहा अखिलेश ने...

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अखिलेश प्रताप सिंह (प्रवक्ता कांग्रेस)

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Published : Jan 13, 2020, 9:43 PM IST

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई. हालांकि एकजुटता का संदेश देने वाले विपक्षी दलों में इस बैठक से पहले फूट पड़ती दिखाई दी. तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, शिवसेना, समाजवादी पार्टी व डीएमके के शीर्ष नेताओं ने इस बैठक में भाग नहीं लिया. इसके बावजूद कांग्रेस विपक्षी दलों की विचारधाराओं में एकजुटता का दावा कर रही है.

कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बैठक में कई विपक्षी दलों की अनुपस्थिति पर कांग्रेस का मत रखते हुए कहा, 'सभी दलों को अपना राजनीतिक निर्णय लेने का पूरा अधिकार है. अधिकतम विपक्षी दल इस बैठक में भाग लेंगे. जो राजनीतिक दल नहीं आ रहे, वे भी नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर बाकी विपक्षी दलों की विचारधाराओं के समर्थन में ही हैं. इसलिए विपक्षी दलों की एकता में इस बात का कोई असर नहीं पड़ने वाला है. '

कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह से ईटीवी भारत की बातचीत.

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हिंसक विरोध के बावजूद इसे क्रियान्वित करने का काम उत्तर प्रदेश की सरकार ने शुरू कर दिया है. यूपी सरकार ने राज्य के 19 जिलों में पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आकर रहने वाली हिन्दू शरणार्थियों की सूची गृह मंत्रालय को भेज दी है.

पढ़ें- विपक्ष की CAA विरोधी बैठक शुरू, बसपा-तृणमूल के बाद आप और शिवसेना ने भी किया किनारा

अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा सरकार के पास संख्या बल है, इसलिए वह कोई भी कानून बना सकती है. जैसे अंग्रेजों के राज के समय में ईस्ट इंडिया कम्पनी काला कानून बनाती थी, उसी तरह आज भाजपा सरकार भी वैसे ही कानून बना रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझने की जरूरत है कि वह संख्या बल के बलबूते कोई कानून बना सकती है , लेकिन उसे जबर्दस्ती देश में लागू नहीं कर सकती.

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