नई दिल्ली :लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी द्वारा असहमति जताए जाने के बावजूद केंद्र सरकार नए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए तैयार है. कांग्रेस ने इसे सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा भारतीय संस्थाओं को कमजोर करने वाला एक प्रयास करार दिया है.
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नियुक्ति के लिए न तो चयन प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है और न ही सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का.
सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा (IFS)) अधिकारी और सूचना आयुक्त यशवर्धन कुमार सिन्हा जल्द ही मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं, जबकि पत्रकार उदय माहुरकर को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने की संभावना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीन सदस्यीय चयन समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने नए सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फरवरी 2019 के सुप्रीम कोर्ट के पारदर्शिता दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.
इसके अलावा अपने असंतुष्ट जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि उदय माहुरकर आवेदकों की सूची में भी नहीं थे.
इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट ने कहा कि यह अभी तक संस्थानों के व्यवस्थित विनाश का एक और उदाहरण है.
उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि हम न केवल पसंद पर बल्कि चयन प्रक्रिया की अस्पष्टता पर भी सवाल उठा रहे हैं. चयन को सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों को पूरा करना है, चयन को पारदर्शी होना है. इसके बजाय हम देख रहे हैं कि यह एक बहुत ही अपारदर्शी प्रक्रिया है.
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन नहीं किया था, उन्हें नौकरी मिल गई है. सबसे पहले, आपको पद के लिए आवेदन करना होता है, फिर कुछ लोगों का चयन किया जाता है और फिर चयन समिति फैसला करती है.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) पद के लिए 139 और सूचना आयुक्त के पद के लिए 355 आवेदन प्राप्त किए थे, जिन्हें बाद में उच्च-शक्ति चयन समिति के विचार के लिए एक सर्च समिति द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल हैं, जो नियुक्ति को लेकर अंतिम फैसला लेंगे.