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तो क्या मनमोहन बनेंगे कांग्रेस अध्यक्ष ?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों लंदन में हैं. इधर पार्टी नेतृत्व के सवाल पर माथापच्ची कर रही है. दो दिन बाद संसद का सत्र शुरू होना है. ऐसे में विपक्ष खासकर कांग्रेस की संसद में कैसी भूमिका होगी, उसकी क्या रणनीति होगी, इसे लेकर विचार किया गया. चर्चा ये है कि इसकी जिम्मेवारी मनमोहन सिंह को दी जाए. क्या सिंह कांग्रेस के तारणहार हो सकते हैं, इस पर चर्चा तेज हो गई है. पढ़ें पूरी खबर.

मनमोहन सिंह बैठक के दौरान.

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Published : Jun 15, 2019, 6:25 PM IST

नई दिल्ली:सोमवार से संसद का सत्र शुरू होना है और कांग्रेस पार्टी नेतृत्व संकट से जूझ रही है. राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद भारत से बाहर हैं. सूत्रों के मुताबिक वह वापस कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाने को तैयार नहीं हैं. उनकी जगह कौन आए, इसे लेकर अभी तक आम सहमति नहीं बन पाई है. संसद सत्र के दौरान कांग्रेस का क्या रूख रहेगा, इसे लेकर पार्टी ने आज चर्चा भी की.

पार्टी कार्यालय में आयोजित इस बैठक में कमलनाथ (मध्य प्रदेश ), अशोक गहलोत (राजस्थान), वी. नारायणसामी (पुडुचेरी) और एच. डी. कुमारस्वामी (कर्नाटक) के मुख्यमंत्री ने भाग लिया.

एमपी सीएम कमलनाथ की डिनर पार्टी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने NITI आयोग की बैठक से पहले कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री को डिनर पर बुलाया था. लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह इस बैठक में नहीं आए.

मनमोहन सिंह बैठक के दौरान.

कैप्टन की नाराजगी, मनमोहन की मीटिंग
कैप्टन की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मीटिंग रखी गई. उम्मीद थी कि मनमोहन सिंह के सामने कैप्टन आएंगे और कांग्रेस अध्यक्ष पद समेत कांग्रेस की रणनीति को लेकर चर्चा की जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. कैप्टन ने नीति आयोग की बैठक में अपने वित्त मंत्री को भेज दिया.

संसद सत्र में कांग्रेस अध्यक्ष कौन
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की नाराजगी के बाद अध्यक्ष पद पर छिड़ी बहस में ना तो सोनिया शामिल हो रही हैं और ना ही प्रियंका. राहुल ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी अब नहीं लेंगे. उन्हें मनाने का दौर शुरू हुआ तो वे लंदन चले गए. ऐसे में कांग्रेस आधिकारिक रूप से भले ही यह कहे कि उनके अध्यक्ष राहुल गांधी ही हैं, लेकिन पार्टी के अंदर भारी असमंजस बना हुआ है. आलम यह है कि संसद का सत्र सोमवार से शुरू होना है और कांग्रेस अध्यक्ष नेतृत्व संकट से जूझ रहा है.

कांग्रेस की समीक्षा बैठक.

पार्टी संकट से उबारने के लिए मनमोहन को जिम्मा
पार्टी के ऊपर बढ़ते इसी संकट के निदान के लिए मनमोहन सिंह को इसके समाधान की जिम्मेदारी सौंपी गई. पूर्व पीएम की अगुआई में कमलनाथ (मध्य प्रदेश ), अशोक गहलोत (राजस्थान), वी. नारायणसामी (पुडुचेरी) और एच. डी. कुमारस्वामी (कर्नाटक) के मुख्यमंत्री शामिल हुए लेकिन कैप्टन की अनुपस्थिति में बैठक थोड़ी फीकी हो गई. कांग्रेस के पदाधिकारियों को लगता है कि गांधी-नेहरू परिवार के बाहर से किसी व्यक्ति की बात पर यदि पार्टी एकमत हो सकती है तो यह नाम मनमोहन सिंह का है.

राहुल गांधी.

पढ़ें-PM मोदी की अध्यक्षता वाली नीति आयोग की बैठक में 'न्यू इंडिया' का खाका तैयार

अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेने से बचते नेता
सूत्र बताते हैं कि अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता एके एंटनी और केसी वेणुगोपाल ने भी जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया. ऐसे में जब पार्टी के वरिष्ठ नेता एक मंच पर आने को तैयार नहीं है तब पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह को कांग्रेस मुख्यालय बुलाया गया ताकि पार्टी अध्यक्ष पद को लेकर वह पार्टी को एकमत कर सकें. यह पार्टी को इसलिए जरूरी लग रहा था क्योंकि NITI आयोग के सामने कांग्रेस के स्टैंड पर मुहर लगने के लिए ना तो कांग्रेस अध्यक्ष हैं, न ही गांधी-नेहरू परिवार का कोई सदस्य.

सरकार को घेरने की प्लानिंग
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अहमद पटेल ने मनमोहन सिंह को कांग्रेस मुख्यालय बुलाकर कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों की टीम और वरिष्ठ नेताओं पर आम सहमति बनाने के लिए एक बैठक बुलाई जिसमें फैसला लिया गया सरकार को घेरने के लिए NITI आयोग की बैठक में कांग्रेस देश में बढ़ते जल संकट, नदियों के सूखने की समस्या और जीडीपी पर सवाल करेगी.

जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता.

इन मुद्दों पर कांग्रेस करेगी सवाल
कांग्रेस सरकार से यह भी सवाल करेगी कि कृषि क्षेत्र में क्या नए प्रयास किए जा रहे हैं, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों आदिवासियों को राहत देने के लिए सरकार कौन सी NITI बना रही है. इस लिहाज से NITI आयोग की बैठक से पहले मनमोहन सिंह की अगुआई में जो बैठक हुई कांग्रेस को एकजुट दिखाने का संदेश भी था लेकिन इससे ठीक पहले कमलनाथ के घर बुलाए गए डिनर में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैप्टन अमरिंदर सिंह का शामिल ना होना यह दर्शाता है कि कांग्रेस के अंदर इस भारी हार के बाद एकजुटता का आलम क्या है.

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