नई दिल्ली :संसद के बाद किसानों और खेती से जुड़े बिलों को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी. अब यह बिल कानून बन चुका है. इस कृषि कानून को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में प्रदर्शन कर राज्यपाल को इसके खिलाफ ज्ञापन सौंपा गया.
पार्टी ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के साथ कांग्रेस पार्टी राष्ट्रव्यापी आंदोलन कर रही है. इस विरोध प्रदर्शनों का उद्देश्य बहरी सरकार को किसानों की आवाज सुनाना और केंद्र सरकार द्वारा पारित अत्याचार विरोधी बिलों को वापस लेना था.
इस कानून में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को समाप्त कर दिया गया और कृषि उपज खरीद क्षेत्र में कॉर्पोरेट एकाधिकार का निर्माण किया गया.
इससे पहले भी मुख्यमंत्रियों, पीसीसी प्रमुखों, पार्टी नेताओं, विधायकों, सांसदों और पार्टी के पदाधिकारियों ने राज भवन में इकट्ठा होकर कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राजभवन (राज्यपाल कार्यालय) तक मार्च निकाला था.
पंजाब के सीएम, कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के साथ शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में इकट्ठे हुए. उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनकी सरकार इन कानूनों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
राजस्थान के सीएम, अशोक गहलोत और पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्यपाल को राजभवन में एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इन कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने का आग्रह किया गया.