नई दिल्लीः कांग्रेस ने असम और पूर्वोत्तर के कई अन्य राज्यों को विशेष अधिकार देने वाले कानूनी प्रावधानों के पक्ष में मजबूत जनमत तैयार करने और भाजपा को घेरने के मकसद से जनसंपर्क अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है.
इस जनसपंर्क के माध्यम से वह पूर्वोत्तर की जनता को इस बारे में आगाह करेगी कि केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा जम्मू-कश्मीर से 370 के मुख्य प्रवाधान हटाने जैसा कोई कदम पूर्वोत्तर के 'संवैधानिक रक्षा कवच' अनुच्छेद 371 के संदर्भ में भी उठा सकती है.
मुख्य विपक्षी पार्टी का कहना है कि अमित शाह के बयान के बाद पूर्वोत्तर के लोगों में इसको लेकर चिंता और डर पैदा हो गया है कि आखिर गृह मंत्री को यह सफाई क्यों देनी पड़ रही है?
गत शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में यहां पूर्वोत्तर को लेकर हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह तय हुआ कि अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार के कदम की पृष्ठभूमि में पूर्वोत्तर के राज्यों को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेदों के विषय पर सीधे जनता से संपर्क किया जाए और इस पर जनमत तैयार किया जाए.
बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी और केसी वेणुगोपाल, पूर्वोत्तर के राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता मौजूद थे.
इस बैठक में शामिल रहे असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने को बताया, भाजपा ने जो (जम्मू-कश्मीर में) विशेष दर्जा खत्म किया उसका क्या असर हुआ है? उसे मुद्दा बनाकर जनता के पास ले जाना तय हुआ है.
उन्होंने कहा, '370 और 371 में ज्यादा फर्क नहीं है. जम्मू-कश्मीर के लोगों को 370 के तहत विशेष अधिकार मिले हुए थे. उसी तरह असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों को 371ए, 371बी, 371सी तथा कुछ अन्य अनुच्छेदों के तहत विशेष सुरक्षा मिली हुई है.'