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सरकार ने कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी: कांग्रेस

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Published : Nov 15, 2019, 9:44 PM IST

कांग्रेस ने कश्मीर की स्थिति को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने भारत के आंतरिक मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

पवन खेड़ा

नई दिल्ली: कांग्रेस ने कश्मीर की स्थिति को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने भारत के इस आंतरिक मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर के मुख्य धारा के नेताओं की आवाज संसद के भीतर उठाएगी.

उन्होंने कहा, 'कश्मीर पिछले 103 दिनों से एक पाबंदी की स्थिति में है. प्रधानमंत्री पूरे विश्व में ‘सब चंगा सी’ और ‘ऑल इज वेल’, कहते हुए घूम रहे हैं. वहीं कश्मीर में न मंदिरों में घंटे बज रहे हैं, न आरती की मधुर वाणी सुनाई दे रही है, न मस्जिदों से अज़ान की आवाज़ सुनाई दे रही है, न मोबाइल फोन बज रहे हैं, न बिजली आ रही है, न ही अस्पतालों में दवाइयां एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं.'

खेड़ा ने कहा, 'माना कि आपने डेटा सर्विस बंद कर रखी है, तो एसएमएस, ब्रॉडबैंड एवं प्रीपेड सेवाएं क्यों बंद हैं? ऐसे क्या कारण हैं कि आपने स्थापित राजनीतिक दलों के नेताओं को अभी तक बंद कर रखा है?'

उन्होंने कहा, 'इन्हीं नेताओं के साथ भाजपा एवं कांग्रेस पार्टी की मिलीजुली सरकारें रही हैं. फारूख अब्दुल्ला को पीएसए लगाकर नज़र बंद कर रखा है. यही फारूख साहब जब राम भजन गाते हैं या भारत माता की जय बोलते हैं, तो यह नहीं सोचते कि अलगाववादी ताकतों की क्या प्रतिक्रिया रहेगी. उमर अब्दुला अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट में कई पदों पर आसीन रहे एवं महबूबा मुफ़्ती साहिबा के साथ तो आप स्वयं सरकार में रहे हैं, आज आपने उनको अलगाववादियों की श्रेणी में खड़ा कर दिया है.'

प्रेस वार्ता के दौरान पवन खेड़ा

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'यूरोप के सांसदों को, मादी शर्मा की सहायता से कश्मीर की सैर कराने में मोदी जी को कोई आपत्ति नहीं है पर भारत के चुने हुए सांसदों को कश्मीर जाने से रोका जाता है और फिर कहते हैं कि भारत कश्मीर का हिस्सा है. जी हां, कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. यह मत भूलिए कि कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने में कांग्रेस पार्टी के और कुछ हद तक आपके नेताओं के साथ-साथ इन नेताओं का भी योगदान रहा है जिन्हें आज आपने हिरासत में रखा है.'

उन्होंने सवाल किया, 'हम यह जानना चाहते हैं कि सोमवार से शुरू होने वाले संसद के सत्र में क्या डाक्टर फारूख अब्दुला अपनी आवाज उठा पाएंगे? क्या उन्हें आने दिया जाएगा?'

खेड़ा ने यह भी पूछा, 'जब लोग बिना बिजली, बिना मोबाइल फोन, बिना अस्पताल के ठंड में अपने घरों में बैठे हों और जब हमारे सुरक्षा बल अत्यंत कठिन परिस्थतियों में कश्मीर में ठंड के मौसम में बाहर संघर्ष कर रहे हैं तो उस वक्त आप कहते हैं कि आपने कश्मीर की समस्या खत्म कर दी. कश्मीर कर्फ्यू में, कश्मीरी परेशान लेकिन कैसे कहते हो कि हो गया समाधान?'
एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर के चुने हुए नेताओं की आवाज संसद में उठाएगी.

उन्होंने हाल ही आई में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट का हवाल देते हुए कहा कि रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग कमजोर होने के कारण 1973 के बाद पहली बार वित्त वर्ष 2017-18 में देश में उपभोक्ता व्यय में कमी आई है. यह रिपोर्ट इस बात का संकेत है कि देश में गरीबी बढ़ रही है.

इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, 'राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन के उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2017-18 जो कि लीक हुआ है, इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतवासियों के महीने में औसतन खर्चे में 3.7 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति 2011-12 में महीने का 1501 रुपए खर्च करता था. वह 2017-2018 में 1446 रुपए खर्च कर रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में यह गिरावट 8.8% आई है.

उन्होंने कहा कि सबसे गंभीर विषय यह है कि लोगों के भोजन की खपत तक में गिरावट आई है. भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 2014 में 55वें स्थान पर था, 2017 में 100वें स्थान पर पहुंच गया है.

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आज दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर होने वाली संसदीय समिति की बैठक में अधिकतर सांसदों और कई संस्थाओं के प्रतिनिधि की गैर मौजूदगी के कारण बैठक को खारिज कर दिया गया. इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'वायु प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या का एकमात्र उपाय निकालने के लिए प्रधानमंत्री के कार्यालय को इस पर जल्द से जल्द कोई कदम उठाने की जरूरत है.'

उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा केंद्र सरकार पर निशाना साधने और केंद्र सरकार का दिल्ली के मुख्यमंत्री पर निशाना साधने से इस समस्या का हल नहीं निकल पाएगा. हम ये जानना चाहते हैं कि केंद्र सरकार की तरफ से इस गंभीर समस्या के लिए अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं?

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