नई दिल्ली : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पीएम मोदी की बैंकॉक यात्रा से भारत की इकोनॉमी को बड़ा झटका लगने वाला है. उन्होंने कहा है कि अगले महीने जब पीएम मोदी रिजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) के प्रति भारत की सहमति जताएंगे, तो डिमोनेटाइजेशन और जीएसटी के बाद ये भारत के लिए बड़ा झटका होगा.रमेश ने 'अमूल' के प्रबंध निदेशक द्वारा लिखा एक पत्र भी साझा किया.
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि आरसीईपी के मौजूदा मसौदे से 'राष्ट्रीय हित' को हटा दिया गया है. उन्होंने कहा, 'जब हमारी अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, आयात को उदार बनाया जा रहा है, ऐसे वक्त में आरसीईपी पर हस्ताक्षर आत्महत्या करने जैसा है.' उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पलटी मार ली है. रमेश ने कहा कि RCEP 16 देशों के बीच आपसी सहमति है. उन्होंने कहा कि इससे चीन से आयात करना और उदारवादी बनेगा.
बकौल रमेश, हमें नहीं पता कि वुहान और मामल्लापुरम में मोदी और शी जिनपिंग के बीच क्या बातें हुई हैं, लेकिन हम देख सकते हैं कि चीन से आयात उदारवादी होने वाला है. अब मेड इन इंडिया का जिक्र नहीं है, इससे मेड इन चाइना को बढ़ावा मिलेगा.
प्रस्तावित आरसीईपी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (आसियान) के 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस तथा वियतनाम) तथा उनके छह मुक्त व्यापार साझेदार देश भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच होने वाला वृहद मुक्त व्यापार समझौता है.
प्रेस वार्ता में एंटनी ने कहा कि आर्थिक मंदी का विषय एक ज्वलंत मुद्दा है, जिसने पूरे देश को और समाज के सभी तबके को चिंतित कर रखा है. उन्होंने कहा, 'लोगों की चिंताओं को लेकर हमेशा संवेदनशील रही पार्टी होने के नाते कांग्रेस आरसीईपी वार्ताओं और समझौते का पूरा विरोध करती है.'
उन्होंने कहा, 'हमारा देश एक गंभीर आर्थिक संकट और मंदी की ओर बढ़ रहा है. इसने भारतीय अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. कृषि, रोजगार, उद्योग और व्यापार तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्र दिन ब दिन संकट की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार के लिये यह वक्त जिम्मेदार बनने का है.'
एंटनी ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह अर्थव्यवस्था में शीघ्रता से नयी जान फूंकने के लिये अपने सभी संसाधनों को झोंक दे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं और वह आम आदमी की मुश्किलों को दूर करने तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दे रही है.
उन्होंने कहा कि जब लोग अपने रोजमर्रा के जीवन के लिये संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में त्वरित समाधान करने और एक पैकेज तैयार करने तथा अर्थव्यवस्था में नयी जान फूंकने के बजाय वे (सरकार) आरसीईपी समझौते पर चर्चा करने में वक्त बर्बाद कर रहे हैं.