बेंगलुरु: कांग्रेस ने सोमवार को कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष से जोरदार अपील की कि जब तक वह बागी विधायकों द्वारा सौंपे गये त्यागपत्रों पर निर्णय नहीं ले लेते हैं तब तक मुख्यमंत्री कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर मत विभाजन नहीं कराएं.
कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा ने विश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस का यह रु ख सामने रखा. उन्होंने कहा कि इस्तीफे के मुद्दे पर अध्यक्ष के निर्णय के बगैर मत-विभाजन कराने से विश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया की कोई गरिमा नहीं रहेगी.
विश्वास प्रस्ताव पर बहस के तीसरे दिन भी जारी रहने के दौरान उन्होंने कहा, 'हम असाधारण स्थिति में आ गये हैं. मैं अध्यक्ष से पहले इस्तीफों पर निर्णय लेने का अनुरोध करता हूं. अन्यथा इसका (विश्वास प्रस्ताव का) कोई मतलब नहीं रह जाएगा.'
उन्होंने सवाल किया, 'क्या इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया और असलियत क्या है? क्या वे लोकतंत्र के विरूद्ध नहीं हैं?'
भाजपा को संदेह है कि कांग्रेस जद(एस) सरकार बागी विधायकों को अपने पाले में करने के लिए विश्वास प्रस्ताव पर मत-विभाजन में देरी कर रही है. इन्हीं विधायकों के इस्तीफे की वजह से सरकार गिरने की कगार पर पहुंच गयी है.
जदएस-कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल वजूभाई वाला द्वारा विश्वास प्रस्ताव पर मत-विभाजन के लिए तय की दो समय सीमाओं का उल्लंघन किया है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखे गये दो पत्रों में कहा था कि प्रथम दृष्टया वह सदन का विश्वास खो चुके हैं.
केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर प्रहार करते हुए गौड़ा ने कहा कि देश से राजनीतिक विपक्ष का सफाया करने के लिए 'सुनियोजित तरीके से' प्रयास चल रहा है और भाजपा द्वारा कर्नाटक में अभियान उसी प्रयास का हिस्सा है.
उन्होंने बागी विधायकों से अपने रुख पर पुनर्विचार करने की भी अपील की.
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक ने भाजपा के एक नेता के साथ टेलीफोन पर बातचीत में पैसा और मंत्रिपद की चर्चा की थी. इस पर भाजपा नेता जगदीश शेट्टार ने आपत्ति की. तब अध्यक्ष के आर रमेश ने भी गौड़ा से आरोप लगाने से पहले सबूत पेश करने को कहा.