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मध्य प्रदेश : फ्लोर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, कांग्रेस बोली- जल्दबाजी न करें राज्यपाल

भाजपा ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया है. भाजपा ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण कराने का निर्देश देने की मांग की है. कोर्ट आज इस मामले पर सुनवाई करेगा. इससे पहले सोमवार को राज्यपाल लाल जी टंडन ने कमलनाथ को 17 मार्च को बहुमत परीक्षण कराने का निर्देश दिया था.

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Published : Mar 17, 2020, 12:06 AM IST

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 17 मार्च को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की फ्लोर टेस्ट की मांग वाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा. इसी बीच कांग्रेस नेताओं ने प्रदेश के राजनीतिक संकट पर कांग्रेस नेताओं ने संयम बरतने की सलाह दी है.

सोमवार को कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा, 'सीएम कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट कराने से कभी इनकार नहीं किया. लेकिन अगर विधानसभा अध्यक्ष ने इसे टाल दिया है तो विपक्ष को उनके फैसले का विरोध करना चाहिए, न कि राज्य की सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ.'

पुनिया ने कहा, 'पूरा देश कोरोना वायरस के खिलाफ सावधानी बरत रहा है. यहां तक कि संसद भी आगंतुकों के लिए बंद कर दी गई है. ओडिशा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा सत्रों को स्थगित कर दिया गया है. मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने भी ऐसा ही किया है और इसलिए राज्यपाल द्वारा किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने की जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है.

कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया

इससे पहले मध्य प्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को दूसरी बार पत्र लिखकर 17 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने को कहा है. इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन से राजभवन जाकर मुलाकात की.

मध्यप्रदेश विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित किए जाने के निर्णय को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मध्य प्रदेश इकाई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज सुनवाई होगी. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष को 12 घंटे के भीतर एक फ्लोर टेस्ट आयोजित करने का आदेश दिया जाए. चौहान ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है और कांग्रेस पार्टी के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, जिसमें से छह विधायकों के इस्तीफे को विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया है और कमलनाथ सरकार अल्पमत में है.

कांग्रेस पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता केटीएस तुलसी ने कहा, 'यदि 22 विधायकों को कहीं भी बंद किया जा रहा है और ऐसा उनकी इच्छा के खिलाफ किया जा रहा है तो फ्लोर टेस्ट कैसे आयोजित किया जा सकता है?'

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तुलसी ने कहा कि भाजपा नहीं चाहती कि वे अपनी मर्जी का वोट डालने के लिए विधान सभा में आएं. यह उन सभी लोगों के खिलाफ अपहरण और अवैध कारावास का मामला है जो वास्तव में जिम्मेदार हैं. मुझे वास्तव में लगता है कि वे लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को शर्मसार कर रहे हैं.

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