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हाथरस मामले की ऊपरी अदालत के न्यायाधीश से कराई जाए जांच - ऊपरी अदालत के न्यायाधीश

हाथरस मामले पर बोलते हुए कांग्रेस के पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस घटना की जांच उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से करानी चाहिए. इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार पर भी हमला बोला, कहा कि राज्य की भाजपा सरकार को घड़ियाली आंसू बहाना बंद करके घटना के असल दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास करना चाहिए.

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी

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Published : Oct 7, 2020, 9:34 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने हाथरस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पर ध्यान भटकाने और बहाने तलाशने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना की उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से जांच करानी चाहिए.

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी कहा कि राज्य की भाजपा सरकार को घड़ियाली आंसू बहाना बंद करके घटना के असल दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास करना चाहिए.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि दंगों की साजिश की बात उस वक्त की जा रही है, जब एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या किए जाने का आरोप है. पीड़िता का रात के अंधेरे में अंतिम संस्कार कर दिया गया हो. दंगों की साजिश की बात वो लोग कर रहे हैं, जिनको इसमें पीएचडी हासिल है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया है कि उसे हटाने का षड्यंत्र किया गया. किसी बलात्कार और हत्या के मामले के बाद हमने किसी सरकार से ऐसी प्रतिक्रिया नहीं देखी.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर कोई बलात्कार की पीड़िता के घर जाकर सहानुभूति जता देता है, तो वो देशद्रोह नहीं है. देशद्रोह वो है कि आप इस तरह की वीभत्स घटनाओं पर कोई कार्रवाई नहीं करते.

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सिंघवी ने दावा किया कि भाजपा के कई नेता इस घटना के बाद वाहियात बातें कर रहे हैं, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि घड़ियाली आंसू बहाना छोड़िए और उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यालय के न्यायाधीश को जांच की जिम्मेदारी दीजिए और दो-तीन महीने में जांच पूरी कराइए. सब पर दोषारोपण बंद करिए. दोषियों को पकड़िए और उनको सजा दिलाइए.

ज्ञात हो कि, हाथरस जिले के एक गांव में गत 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक युवती से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था. चोटों के चलते गत मंगलवार सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई. इसके बाद रातोंरात उसके शव का दाह-संस्कार कर दिया गया.

परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन ने उनकी सहमति के बगैर गत बुधवार तड़के पीड़िता के शव का जबरन दाह-संस्कार कर दिया. प्रशासन ने इससे इनकार किया है.

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