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दम है तो सहयोगी पार्टियां कृषि बिलों पर एनडीए का साथ छोड़ें

कृषि विधेयक को लेकर किसानों के समर्थन में विपक्षी दल धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बिल के विरोध में कांग्रेस ने सभी गठबंधन पार्टी से एनडीए का साथ छोड़ने के लिए कहा है.

पंजाब पीसीसी चीफ सुनील जाखड़
पंजाब पीसीसी चीफ सुनील जाखड़

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Published : Sep 27, 2020, 8:37 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 9:11 PM IST

नई दिल्ली: भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को छोड़ दिया. कांग्रेस ने अन्य सभी राजनीतिक दलों को एक साथ जुड़ने और केंद्र सरकार के खिलाफ कृषि बिल का विरोध करने के लिए कहा है.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रमुख कुमारी शैलजा ने जेजेपी को हरियाणा में भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ने और किसानों के साथ खड़े होने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि अपनी आंखें खोलें और किसानों के साथ शामिल हों.

पंजाब पीसीसी चीफ सुनील जाखड़ भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि चौधरी देवीलाल की आत्मा आज दुष्यंत चौटाला को इन काले बिलों में भाजपा का समर्थन करते देखते हुए रो रही होगी. यह बिल किसानों को बंधुआ मजदूर बना देगा.

सुनील जाखड़ का बयान.

उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी पूछा कि क्या वे 16.70 लाख प्रवासी मजदूरों को वापस लेने के लिए तैयार हैं, जिनमें से 80% पंजाब में खेत-मजदूर के रूप में काम कर रहे है. उन्होंने कहा कि 10 करोड़ आबादी के साथ बिहार में सिर्फ 57 मंडियां हैं, जबकि पंजाब में 3 करोड़ जनसंख्या के साथ 1950 मंडियां हैं. यह सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भागना चाहती है. यह अनुबंध खेती बंधुआ मजदूरी के अलावा और कुछ नहीं है.

कुमारी शैलजा ने कहा कि वाईएसआरसीपी, टीआरएस, जेडीयू, एलजेपी सहित भाजपा के सभी सहयोगियों को किसानों की दुर्दशा और दुख सुनने की जरूरत है, क्योंकि ये बिल किसानों की कमर तोड़ देगा. उन्हें कॉरपोरेट्स की दया पर छोड़ दिया जाएगा.

अकाली दल के एनडीए छोड़ने के फैसले की निंदा करते हुए जाखड़ ने कहा कि पीएम और भाजपा नेताओं ने एक बार भी हरसिमरत कौर से नहीं मिले. एक बार मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद किसी ने भी अकालियों को मिलने का समय नहीं दिया.

देश भर में किसानों के आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने हाल ही में एक सप्ताह के लिए धान की खरीद को आगे बढ़ाने का फैसला किया था. राज्य सरकारों को एक अक्टूबर से परिचालन शुरू करने के लिए कहा था.

ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए सुनील जाखड़ ने कहा कि भाजपा किसानों की दुर्दशा और उनकी पीड़ा से संबंधित वास्तविक मुद्दे से देश का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है. 33 करोड़ रुपये को रोक दिया गया है. मंडियों को औपचारिक रूप से खोला गया है, लेकिन इसे खरीदने के लिए न तो कोई सरकारी एजेंसी है और न ही पर्याप्त पैसा है.

पढ़ेंःविपक्ष के विरोध के बीच राष्ट्रपति कोविंद ने किए कृषि बिलों पर हस्ताक्षर

जाखड़ ने यह भी बताया कि हरियाणा में एजेंटों के लिए 2.5% कमीशन है. भाजपा ने एक फैंसी चाल का इस्तेमाल किया था और यह कहते हुए उसे निर्धारित किया था कि वे 46 रुपये देंगे. जबकि 2.5% कमीशन गेहूं के मूल्य का मूल्य 48.13 रुपये है. हरियाणा सरकार केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया है, लेकिन पंजाब सरकार ने जीएसटी के हमारे बकाये को प्राप्त नहीं किया है. अब वे चाहते हैं कि पंजाब सरकार कमीशन एजेंटों को भुगतान करे या वे सीसीएल सीमा को वापस ले लेंगे.

कांग्रेस मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन बिलों का विरोध करती रही है. पार्टी ने एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन भी किया, जिसके तहत किसानों के 2 करोड़ हस्ताक्षर एक ज्ञापन पर एकत्र किए जाएंगे, जिसमें भारत के राष्ट्रपति से इन बिलों को आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह किया जाएगा.

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह समझने के बजाय कि किसान विरोध क्यों कर रहे हैं, वे अपने अहंकार के कारण किसानों पर इन विधेयकों को थोप रहे हैं. यह लोकतांत्रिक नहीं है कि किसानों को अपना बकाया पाने के लिए धरने पर बैठना पड़े.

Last Updated : Sep 27, 2020, 9:11 PM IST

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