नई दिल्ली :कोरोना संकट के बीच भी सियासी उठापटक देखने को मिल रहा है. कई मुद्दों पर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हुआ तो कई बार बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार खुद घिरती नजर आई. इस बीच कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने सरकार के खिलाफ अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि अर्थव्यवस्था की बर्बादी नोटबंदी से शुरू हुई थी और उसके बाद से एक के बाद एक गलत नीतियां अपनाई गईं.
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'जीडीपी -23.9 प्रतिशत हो गई. देश की अर्थव्यवस्था की बर्बादी नोटबंदी से शुरू हुई थी. तब से सरकार ने एक के बाद एक ग़लत नीतियों की लाइन लगा दी.'
'सरकार ने डुबो दी देश की अर्थव्यवस्था'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था डुबो दी है. अर्थव्यवस्था और जीडीपी के ताजा आंकड़े आने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कोरोना संकट के दौर में सरकार की ओर से जारी राहत पैकेज की तुलना हाथी के दांत से की है. प्रियंका गांधी ने आज ट्विटर कर लिखा कि 'आज से 6 महीने पहले राहुल गांधी जी ने आर्थिक सुनामी आने की बात बोली थी. कोरोना संकट के दौरान हाथी के दांत दिखाने जैसा एक पैकेज घोषित हुआ, लेकिन आज हालत देखिए जीडीपी @ -23.9% जीडीपी. भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था को डुबा दिया.'
सरकार की नीतियों को लेकर टिप्पणी
इससे पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में वित्त मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने भी सरकार की नीतियों को लेकर टिप्पणी की थी. उन्होंने लिखा कि राज्यों को दिए जाने वाले राजस्व के मुद्दे पर केंद्र सरकार अपनी नैतिक और कानून जवाबदेही से बच रही है. राज्य सरकारों को ऐसा नहीं होने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त ऋण का भार भी केंद्र खुद केंद्र सरकार को ही वहन करना चाहिए.
अर्थव्यवस्था में हुई गिरावट को लेकर पी चिदंबरम ने ट्विटर कर लिखा कि 'जीएसटी मुआवजा अंतर को दिखाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए फर्जी जुड़वां विकल्पों को खारिज करने के लिए पंजाब, छत्तीसगढ़, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली के वित्त मंत्रियों को बधाई.'
इसके साथ ही उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि 'जहां तक मुझे पता है, राजस्थान और पुदुचेरी ने भी दो विकल्पों को खारिज कर दिया है. खुशी है कि तमिलनाडु ने भी दो विकल्पों को खारिज कर दिया है. राज्यों को राजस्व की कमी के लिए राज्यों को मुआवजा देने के लिए केंद्र को अपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी से बचने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. अतिरिक्त उधार का वित्तीय बोझ केंद्र द्वारा वहन किया जाना चाहिए.'