नई दिल्ली : लेफ्टिनेंट-जनरल हरेंद्र सिंह और मेजर-जनरल लिन लियू के बीच पैंगोंग त्सो साइट को लेकर लेह स्थित 14 कोर के कमांडर स्तर की वार्ता के पांचवें दौर की बातचीत की सफलता पर आशंका के बादल मंडराने लगे हैं. सफलता की उम्मीदों पर एक बार फिर मुश्किलों की दीवार खड़ी होती दिख रही है.
वार्ता में किसी भी तरह की प्रगति न होने का जिक्र करते हुए, एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बातचीत को लेकर अभी भी चिंताए बनी हुई हैं. उन्हें अभी भी संबोधित करना है. अब तक मुख्य बाधा पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर है. हालांकि यह संभावना है कि पीएलए फिंगर 5 क्षेत्र से पीछे हट सकता है, फिर भी यह फिंगर 4 रिगलाइन पर एक पोस्ट बनाए हुए है, जिसे वह खाली करने से इनकार कर रहा है.
मंगलवार को पूर्वी लद्दाख के चुशुल में भारतीय सीमा चौकी के मोल्दो में रविवार की बैठक का फीडबैक मिलने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता वाले चाइना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया.
6 जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई के बाद रविवार को चुशुल-मोल्दो में हुई बैठक दोनों देशों के बीच पांचवी मीटिंग थी.
पांचवें दौर की बात को निर्धारित करना अपने आप में एक चुनौती थी, दोनों पक्षों के साथ अपनी-अपनी पॉजिशन पर सख्ती से पेश आने और एजेंडे पर असहमति जताई.