नई दिल्ली : महाराष्ट्र में बीजेपी को 105 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी शिवसेना के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन कर सरकार बनाने के प्रति आश्वस्त थी. हालांकि, परिणामों का एलान होने के बाद शिवसेना ने ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले की बात की. इसके तहत बीजेपी को शिवसेना के साथ सत्ता शेयर करनी थी. हालांकि, बीजेपी ने ऐसे किसी भी फॉर्मूले से इनकार कर दिया. इसके बाद कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना ने 160 से ज्यादा विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है.
चुनाव परिणामों के एलान और सरकार गठन के दौरान महाराष्ट्र में काफी समय तक राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल रहा. अब शिवसेना के बीजेपी से अलग होने पर ये पड़ताल की जा रही है, कि हिंदुत्व की समान विचारधारा पर आधारित होने पर भी दोनों दलों में इतनी दूरी कैसे हुई कि विरोधी दलों के साथ सरकार बनाने की मजबूरी आ गई. इस सवाल का भी जवाब ढूंढा जा रहा है कि क्या शिवसेना ने नतीजे आने के पहले ही भाजपा से दूर जाने का मूड बना लिया था. शिवसेना के इस अड़ियल रवैये के पीछे क्या भाजपा का व्यवहार जिम्मेदार था या फिर इस क्षेत्रीय दल की महत्वाकांक्षा.
संघ सूत्रों के मुताबिक डॉ. कृष्णगोपाल की अध्यक्षता वाली समन्यव कमेटी महाराष्ट्र के चुनाव में शुरू से लेकर सरकार बनने और बिगड़ने तक की गतिविधियों की पड़ताल कर रही है. इसमें टिकट वितरण से लेकर शिवसेना के साथ भाजपा नेताओं की बैठकों और उसमें लिए गए फैसलों आदि के बारे में विस्तृत पड़ताल चल रही है.