नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुक्रवार को 75 रुपये का स्मृति सिक्का जारी करेंगे. साथ ही वह हाल ही में विकसित की गई आठ फसलों की 17 जैव संवर्धित किस्मों को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में बुधवार को यह जानकारी दी गई.
यह आयोजन कृषि और पोषण को सरकार द्वारा दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता का प्रतीक होगा. इसके साथ ही यह सरकार के भूख और कुपोषण को पूरी तरह से समाप्त करने के संकल्प का एक प्रमाण भी है. इस कार्यक्रम को देशभर के आंगनबाड़ियों, कृषि विज्ञान केंद्रों, जैविक और बागवानी मिशनों द्वारा देखा जा सकेगा. केंद्रीय कृषि मंत्री, वित्त मंत्री तथा महिला और बाल विकास मंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगी.
भारत और एफएओ
समाज के कमजोर वर्ग और समूहों को आर्थिक रूप से और पोषाहार के मामले में सशक्त बनाने के लिए एफएओ के अबतक के प्रयास अद्वितीय रहे हैं. भारत का एफएओ के साथ ऐतिहासिक संबंध रहा है. भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी डॉ. बिनय रंजन सेन 1956-1967 के दौरान एफएओ के महानिदेशक थे. 2020 में नोबेल शांति पुरस्कार जितने वाले विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना उनके समय में ही की गई थी. वर्ष 2016 को अंतरराष्ट्रीय दलहन और 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किए जाने के भारत के प्रस्तावों को भी एफएओ द्वारा समर्थन दिया गया.
कुपोषण की समस्या से निबटने के प्रयास
भारत ने दस करोड़ से अधिक लोगों को लक्षित करते हुए एक महत्वाकांक्षी पोषण अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य शारीरिक विकास में बाधा, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन जैसी समस्या से निजात पाना है. कुपोषण एक वैश्विक समस्या है, जिसके कारण दो अरब लोग मूल पोषक तत्वों की कमी से पीड़ित हैं. बच्चों में लगभग 45 प्रतिशत मौतें कुपोषण से जुड़ी हैं. ऐसे में यह अभियान सही मायने में संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों में से एक है.
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भारतीय भोजन की थाली को पोषक तत्वों वाली थाली में बदलना
प्रधानमंत्री द्वारा देश को समर्पित की जाने वाली आठ फसलों की हाल ही में विकसित जैव-विविधता वाली किस्में पोषण के मामले में तीन गुना अधिक हैं. चावल की किस्म सीआर धान 315 जस्ता की अधिकता वाली है. गेहूं की एचडी 3298 किस्म प्रोटीन और लौह से, जबकि DBW 303 और DDW 48 प्रोटीन और लौह से समृद्ध है. मक्का की हाईब्रिड किस्म 1,2 और 3 लाइसिन और ट्राइप्टोफैन से, बाजरे की सीएफएमवी 1 और 2 फिंगर किस्म कैल्शियम, लोहा और जस्ता से भरपूर है. छोटे बाजरे की सीसीएलएमवी 1 किस्म लौह और जस्ते से भरपूर है. पूसा सरसों 32 कम एरियूसिक एसिड से, जबकि मूंगफली की गिरनार चार और पांच किस्म बढ़े हुए ओलिक एसिड से तथा रतालू की श्री नीलिमा तथा डीए 340 किस्म एंथोसायनिन से भरपूर है.
फसलों की यह किस्में, अन्य खाद्य सामग्री के साथ, सामान्य भारतीय थाली को पोषक तत्वों वाली थाली में बदल देंगी. इन किस्मों को स्थानीय भूमि और किसानों द्वारा विकसित किस्मों का उपयोग करके विकसित किया गया है. उच्च जस्ता युक्त चावल की किस्म गारो पर्वतीय क्षेत्र तथा गुजरात के डांग जिले से संग्रहित की गई है.
आईसीएआर ने पोषण संबंधी सुरक्षा को बढ़ाने के लिए परिवार को खेती से जोड़ने के लिए न्यूट्री-सेंसिटिव एग्रीकल्चर रिसोर्सेज एंड इनोवेशंस (एनएआरआई) कार्यक्रम शुरू किया है, पोषण सुरक्षा बढ़ाने के लिए पोषक-स्मार्ट गांवों और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सुनिश्चित करने के लिए केवीके द्वारा सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त स्वस्थ और विविध आहार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराए जाने के लिए विशिष्ट पोषण उद्यान मॉडल विकसित और प्रचारित किए जा रहे हैं.
कुपोषण को कम करने और प्राकृतिक रूप से समृद्ध खाद्य सामग्री के माध्यम से भारत को कुपोषण से मुक्त बनाने के लिए जैव-फोर्टिफाइड फसलों की किस्मों के उत्पादन को बढ़ावा देकर इन्हें मध्यान्ह भोजन, आंगनबाड़ी आदि जैसे सरकारी कार्यक्रमों के साथ जोड़ा जाएगा. यह किसानों के लिए अच्छी आमदनी सुनिश्चित करेगा तथा उनके लिए उद्यमिता के नए रास्ते खोलेगा.