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कोटा में फंसे झारखंड के छात्रों को लाना संभव नहीं : हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राजस्थान के कोटा से झारखंड के छात्रों को लाना फिलहाल संभव नहीं है. हेमंत ने कहा कि जिस तरह यूपी सरकार कोटा से अपने छात्रों को वापस ले आई है, इससे प्रतीत होता है कि देश में दो तरह के नियम लागू हैं. उन्होंने कहा कि ये समय है मिलकर काम करने का, अभी राजनीति करने का समय नहीं है, जिंदा रहेंगे तो राजनीति होती रहेगी.

हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन

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Published : Apr 21, 2020, 2:12 PM IST

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राजस्थान के कोटा से झारखंड के छात्रों को लाना फिलहाल संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बाबत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात हुई. हालांकि उन्होंने इस से जुड़ा कोई आश्वासन नहीं दिया, लेकिन झारखंड सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पड़ोसी राज्यों की वजह से झारखंड सरकार को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

देश के अलग राज्यों के लिए अलग नियम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लॉकडाउन हटने के बाद सरकारी दफ्तरों में काम कुछ शुरू हुए संबंधी बातचीत के बाद सोरेन ने कहा कि यूपी में सरकार की ओर से कोटा से छात्रों को वापस बुला लिया गया. इसको लेकर वहां रह रहे झारखंड के बच्चे भी इससे काफी हतोत्साहित हैं. उनका भी लगातार कंट्रोल रूम में फोन आ रहा है, साथ ही संदेश भेजे जा रहे हैं. यहां तक कि इनके परिवारीजन भी मुलाकात कर रहे हैं. ऐसे हालात में उन बच्चों को कैसे रेस्क्यू करें जबकि लॉकडाउन पूरे देश के लिए प्रधानमंत्री ने घोषणा की है और इस तरह के अलग-अलग राज्य अलग अलग तरीके से आचरण में आ रहे हैं तो कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि एक ही देश में दो तरह के नियम लागू हैं.

हेमंत सोरेन का बयान.

जो जहां हैं, वहीं रहें
हेमंत सोरेन ने कहा कि इस विषय में प्रधानमंत्री को देश के समक्ष संबोधन में अपनी बात रखनी चाहिए कि ऐसी परिस्थिति उत्पन्न ना हो. आज के हालात यह कहते हैं कि राज्य केंद्र सरकार को मदद करें और केंद्र सरकार राज्य सरकारों को मदद करें तब यह संक्रमण से लड़ा जा सकता है. यह संक्रमण देश के हर कोने में दुनिया के हर कोने में फैला पड़ा है.

हेमंत सोरेन का बयान

सीएम ने कहा कि उनका यही आग्रह है की लोग जहां अपने आप को सुरक्षित समझते हैं वही रुकें. झारखंड के लोग, मजदूर, छात्र-छात्राएं किसी भी हालत में सुरक्षित रहें यही गुजारिश है. राजनीति का समय नहीं, जिंदा रहे तो कर लेंगे राजनीति. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनकी बात सुनी है, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है, इससे चिंता ज्यादा बढ़ रही है.

राज्य के लोगों में एक असंतोष भाव उत्पन्न हो रहा है कि राज्य सरकार ही उन बच्चों को नहीं लाना चाहती है. ऐसी स्थिति पर लोगों को राजनीति नहीं करना चाहिए. राजनीतिक सहयोगी भी इस बात को कह रहे है कि इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है. इसमें राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. इसके साथ ही राज्य सरकार को सीधे तौर पर ले आना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि राजस्थान से यहां लाने में कई राज्यों से होकर गुजरना पड़ेगा और बच्चे कहीं रास्ते में संक्रमित हो गए, तब कौन जिम्मेदारी लेगा. उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार यूपी सरकार जिन बच्चों को वहां से वापस लाई है, उनमें एक लड़की संक्रमित है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम ने सरकारी दफ्तर खुलने के बाद काम काज को लेकर भी फीडबैक लिया है. सीएम सोरेन ने कहा कि राज्य के अंदर चार क्वारंटाइन पॉजिटिव पूरी तरह से दुरुस्त हो गए. इसके लिए उन सभी चार लोगों को शुभकामनाएं हैं. उन्होंने कहा कि पहले तो सिर्फ पॉजिटिव ही मिल रहे थे. अब इस जंग से हम जीत भी रहे हैं अब और मजबूती से इस जंग को लड़ा जाएगा.

जन-धन के लाभुकों को दिए जा रहे पैसे वापस नहीं लेगी सरकार
सीएम ने कहा कि विभिन्न माध्यमों में जानकारी मिल रही है कि जन-धन योजना के तहत खाते में सरकार की ओर से भेजी गई राशि को निकालने के लिए बुजुर्ग लाभुक घंटों तक बैंक में मौजूद होते हैं. इस योजना के लाभुकों के मन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है कि अगर वह पैसा नहीं निकालेंगे तो राशि वापस हो जाएगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राशि सरकार वापस नहीं लेगी. लाभुक कभी भी इसे निकाल सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह राशि लाभुकों की है और वे इसका इस्तेमाल करेंगे. इसलिए इस राशि को निकासी को लेकर जल्दबाजी और हड़बड़ी करने की जरूरत नहीं है अभी के हालात में अपने घर पर ही रहें.

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