रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राजस्थान के कोटा से झारखंड के छात्रों को लाना फिलहाल संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बाबत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात हुई. हालांकि उन्होंने इस से जुड़ा कोई आश्वासन नहीं दिया, लेकिन झारखंड सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पड़ोसी राज्यों की वजह से झारखंड सरकार को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
देश के अलग राज्यों के लिए अलग नियम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लॉकडाउन हटने के बाद सरकारी दफ्तरों में काम कुछ शुरू हुए संबंधी बातचीत के बाद सोरेन ने कहा कि यूपी में सरकार की ओर से कोटा से छात्रों को वापस बुला लिया गया. इसको लेकर वहां रह रहे झारखंड के बच्चे भी इससे काफी हतोत्साहित हैं. उनका भी लगातार कंट्रोल रूम में फोन आ रहा है, साथ ही संदेश भेजे जा रहे हैं. यहां तक कि इनके परिवारीजन भी मुलाकात कर रहे हैं. ऐसे हालात में उन बच्चों को कैसे रेस्क्यू करें जबकि लॉकडाउन पूरे देश के लिए प्रधानमंत्री ने घोषणा की है और इस तरह के अलग-अलग राज्य अलग अलग तरीके से आचरण में आ रहे हैं तो कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि एक ही देश में दो तरह के नियम लागू हैं.
जो जहां हैं, वहीं रहें
हेमंत सोरेन ने कहा कि इस विषय में प्रधानमंत्री को देश के समक्ष संबोधन में अपनी बात रखनी चाहिए कि ऐसी परिस्थिति उत्पन्न ना हो. आज के हालात यह कहते हैं कि राज्य केंद्र सरकार को मदद करें और केंद्र सरकार राज्य सरकारों को मदद करें तब यह संक्रमण से लड़ा जा सकता है. यह संक्रमण देश के हर कोने में दुनिया के हर कोने में फैला पड़ा है.
सीएम ने कहा कि उनका यही आग्रह है की लोग जहां अपने आप को सुरक्षित समझते हैं वही रुकें. झारखंड के लोग, मजदूर, छात्र-छात्राएं किसी भी हालत में सुरक्षित रहें यही गुजारिश है. राजनीति का समय नहीं, जिंदा रहे तो कर लेंगे राजनीति. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनकी बात सुनी है, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है, इससे चिंता ज्यादा बढ़ रही है.
राज्य के लोगों में एक असंतोष भाव उत्पन्न हो रहा है कि राज्य सरकार ही उन बच्चों को नहीं लाना चाहती है. ऐसी स्थिति पर लोगों को राजनीति नहीं करना चाहिए. राजनीतिक सहयोगी भी इस बात को कह रहे है कि इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है. इसमें राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. इसके साथ ही राज्य सरकार को सीधे तौर पर ले आना चाहिए.