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बड़े लोन डिफाल्टर्स का होगा खुलासा, सूचना आयोग ने RBI को नोटिस भेजा

सीआईसी ने आरबीआई को बड़े कर्जदारों के नामों का खुलासा करने का नोटिस दिया है. यह नोटिस सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की अपील पर भेजा गया है. जानें क्या है पूरा मामला

सीआईसी ने आरबीआई को बड़े लोन डिफॉल्टर्स के नामों का खुलासा करने का नोटिस दिया

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Published : May 27, 2019, 8:16 PM IST

Updated : May 27, 2019, 8:48 PM IST

नई दिल्लीः केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस भेजा है.इस नोटिस में सीआईसी ने आरबीआई से ऐसे कर्जदारों के नामों का खुलासा करने को कहा है जो आरबीआई को कर्ज लौटाने में असफल रहे हैं.

सीआईसी ने केंद्रीय बैंक को निर्देश दिया है कि वह उन कर्जदारों के नामों का खुलासा करे जिनके फंसे कर्ज खातों को उसने बैंकों के पास समाधान के लिये भेजा है. सीआईसी ने यह निर्देश लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की अपील पर दिया है.

नूतन ठाकुर ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी मांगी थी. उन्होंने अपने आरटीआई आवेदन में उन मीडिया रिपोर्टों का उल्लेख किया था जिसमें रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के 2017 में एक व्याख्यान के हवाले से कहा गया था कि कुछ कर्ज डिफाल्टर के खातों को बैंकों के पास निपटान के लिए भेजा गया है.

सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की याचिका

आचार्य ने कहा था कि आंतरिक सलाहकार समिति (आईएसी) ने सिफारिश की है कि रिजर्व बैंक शुरुआत में बड़ी राशि के फंसे कर्ज वाली संपत्तियों पर ध्यान दे.

उन्होंने कहा था कि रिजर्व बैंक ने उसी के अनुरूप बैंकों को 12 बड़े खातों के खिलाफ दिवाला आवेदन करने को कहा था. बैंकों की जितनी राशि कर्ज में फंसी है उसका 25 प्रतिशत इन्हीं बड़े खातों पर बकाया है.

ठाकुर ने अपने आरटीआई आवेदन में आचार्य ने व्याख्यान में जिस सूची का जिक्र किया था उसी सूची का ब्योरा मांगा है. साथ ही उन्होंने इन खातों से संबंधित नोट शीट और पत्राचार की जानकारी भी मांगी थी.

रिजर्व बैंक ने उन्हें इसकी जानकारी उपलब्ध कराने से इनकार करते हुए कहा था कि यह गोपनीय सूचना है. इसके बाद ठाकुर ने सीआईसी में अपनी अपील की.

पढ़ेंःनूतन ठाकुर के मामले में CIC का पूरा आदेश पढ़ने के लिए क्लिक करें

सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा ने मामले पर गौर करते हुये कहा कि मुख्य लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (डी) (व्यावसायिक भरोसा) के तहत सूचना देने से इनकार किया है.

सीआईसी की ओर से जारी पत्र

जबकि पहले अपीलीय प्राधिकरण ने कहा कि धारा 8(1) (डी) के तहत छूट इस मामले में लागू नहीं होती, लेकिन यह रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 45सी और ई के अंतर्गत आती है जिसमें सभी बैंकों की ऋण संबंधी सूचना को गोपनीय रखा जाता है.

आपको बता दें सूचना के अधिकार के तहत विवादों के निपटान की प्रक्रिया दो चरणों में होती है.

इसी प्रक्रिया में सीपीआईओ को आवेदन पर प्रतिक्रिया मिलती है और वह उसका जवाब देता है. वह यदि सूचना देने से इनकार करता है तो उसे संगठन के भीतर ही वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष चुनौती दी जाती है. जिसे पहला अपीलीय प्राधिकरण कहा जाता है.

यदि आवेदक इसके बाद भी संतुष्ट नहीं हो पाता है तो दूसरी अपील सीआईसी के समक्ष की जा सकती है.

Last Updated : May 27, 2019, 8:48 PM IST

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