नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित किए गए 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को तीसरी प्रेस कांफ्रेंस कर विस्तृत जानकारी दी. तीसरे भाग में कृषि, मत्स्य पालन, डेरी और फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के लिए कई योजनाओं की घोषणा की गई है, जिसमें कृषि क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए एक लाख करोड़ देने की बात कही गई है. इसके अलावा एमएफई (माइक्रो फूड इंटरप्राइजेज) के लिये 10 हजार करोड़, मछली पालन क्षेत्र के लिए 20 हजार करोड़, डेयरी प्रोसेसिंग के लिए 15 हजार करोड़, हर्बल खेती के लिए चार हजार करोड़, मधुमक्खी पालन के लिए पांच सौ करोड़ इत्यादि शामिल हैं.
दरअसल किसानों को उनके फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाना एक बड़ी समस्या रही है और सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बावजूद भी उनके उत्पाद की खरीद एमएसपी पर नहीं हो पाती है. आज की घोषणा में वित्त मंत्री ने कहा है कि एमएसपी के लिए 74,300 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे.
आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन की बात भी कही गई है. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि किसान इन घोषणाओं से राहत महसूस करेंगे और आगे कृषि क्षेत्र में उन्हें अपना भविष्य उज्ज्वल दिखाई देगा, लेकिन कृषि विशेषज्ञों और किसान नेताओं की राय इससे अलग है.
ईटीवी भारत ने इस विशेष पैकेज की घोषणा पर विशेषज्ञ और किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह से बातचीत की. चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है की घोषणाओं में अधिकतर प्रस्ताव लोन के रूप में है ना की सहायता के रूप में. कुछ प्रस्तावों को पहले ही बजट में शामिल कर लिया गया था, अतः उनकी केवल पुनः घोषणा की गई है जिसमें नया कुछ भी नहीं है. पीएम किसान जैसी कुछ योजनाओं की राशि को बस समय से पहले दिया जा रहा है, लेकिन उसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. 1.70 लाख करोड़ रुपए का जो पहला पैकेज मार्च अंत में घोषित किया गया था उसने भी केवल 60000 करोड़ के नए प्रस्ताव थे बाकी सब इस साल के बजट में पहले ही मौजूद था.
15 मई को कृषि क्षेत्र में कुछ सुधार जैसे कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव का प्रस्ताव स्वागत योग्य कदम है. खाद्य तेलों, तिलहन, दलहन, आलू, प्याज आदि में स्टॉक लिमिट को हटाने से किसानों को अच्छा दाम मिलने की आशा है. ऑपरेशन ग्रींस के तहत सभी फल सब्जियों को शामिल किया गया है, जिसमें परिवहन और भंडारण के लिए 50% सब्सिडी मिलेगी. कृषि उत्पादन बाजार समिति अधिनियम में सुधार होंगे, जिससे कृषि उत्पादों को अन्य स्थानों और राज्यों या क्रेताओं को भी बेच सकेंगे.