नई दिल्ली :भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे तनाव और उसे कम करने के प्रयास के बीच चीनी मीडिया ने उत्तर पूर्व में उग्रवाद के मुद्दे को ताइवान से जोड़ने की कोशिश की है.
ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय मीडिया में 'ताइवान नेशनल डे' की खबरों को प्रमुखता से उठाने पर सवाल उठाया है. अखबार लिखता है कि अगर चीन की मीडिया उत्तर पूर्व भारत में उग्रवाद की समस्याओं पर सार्वजनिक तौर लिखे, या अलगाववादियों के पक्ष में लेख लिखे, तो नई दिल्ली किस तरह से प्रतिक्रिया देगा ? जिस तरह से आज चीन उसका जवाब दे रहा है, भारत भी उसी तरह से उसका जवाब देगा.
अखबार ने लिखा, आप इसे इस पृष्ठभूमि में देखें, कि उत्तर पूर्व में सक्रिय कई उग्रवादी संगठन, जैसे नेशनल सोशलिस्ट काउंसल ऑफ नागालिंगम (एनएससीएन) और यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वरिष्ठ नेता चीनी भूभाग में कैंप कर रहे हैं और वे चीनी मदद की आस लिए हुए हैं, ताकि उन्हें भारत से अलग होने में मदद मिल सके.
ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि एनएससीएन में तो हताशा चरम पर है. क्योंकि सरकार से चल रही उनकी बातचीत पिछले 23 सालों से जारी है. इसका कोई माकूल हल अब तक नहीं निकला है.
दस्तावेज बताते हैं कि उत्तर पूर्व भारत में उग्रवादियों (नागा समेत) को चीनी सत्ता से सहयोग मिल चुका है.