नई दिल्ली : चीन की विस्तारवादी नीति के लिए सबसे जरूरी सैन्य बल है. ऐसे में चीन ने हमेशा अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने पर जोर दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि 2025 तक चीन अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा.
रक्षा से संबंधित विषय पर संयुक्त राज्य कांग्रेस के एक प्रमुख पैनल ने कहा है कि चीन सैन्य क्षमता के मामले में अमेरिका को अब से पांच साल से भी कम समय में पछाड़ सकता है.
गुरुवार को भारतीय समयानुसार हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी द्वारा जारी अमेरिका के लिए 'द फ्यूचर ऑफ डिफेंस टास्क फोर्स रिपोर्ट, 2020' में रक्षा को लेकर गंभीर बात बताई गई है.
रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों को लगता है कि चीन अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहा है. उसकी (चीन) प्रतिस्पर्धा इतनी तेज गति से आगे बढ़ रही है कि वह आने वाले पांच वर्षों में अमेरिकी सैन्य क्षमता को पछाड़ कर आगे निकल जाएगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक जब चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाता है, और अमेरिकी डिफेंस मौजूदा गति को ऐसी ही बनाए रखता है तो उनके 70 प्रतिशत यूएस मिलिट्री सिस्टम पुराने होंगे.
ऐसी स्थिति में अमेरिका पुरानी सैन्य तकनीक के साथ रहेगा और चीन आक्रमक रूप से नए-नए क्षेत्रों की खोज करेगा और आगे बढ़ता रहेगा.
अगर अमेरिका को पैनल द्वारा दी गई सिफारिश के साथ आगे बढ़ना है, तो इसके लिए भी उपाय हैं. इसके तहत अमेरिका में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) का अध्ययन करने वाले विदेशी छात्रों की वापसी हो ताकि तेजी से बदलती दुनिया में अमेरिका को अपनी सैन्य ताकत में बढ़त बनाने में मदद मिल सके. इनमें बहुत से भारतीय और चीनी हो सकते हैं.
2017-18 में, अमेरिका में कुल विदेशी एसटीईएम छात्रों में 162,050 छात्रों के साथ चीन और 153,876 के साथ भारत एसटीईएम छात्रों की उत्पत्ति का प्रमुख देश था. यह अमेरिका में सभी विदेशी एसटीईएम छात्रों का 70 प्रतिशत था. सऊदी अरब इस मामले में काफी पीछे तीसरे नंबर पर आता है.
बता दें कि सैन्य अनुप्रयोगों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में विशेषज्ञता को महत्वपूर्ण माना जाता है.