हैदराबाद : इंटरनेट के आने के साथ ही वैश्विक प्रणालियों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए. लोगों की दिनचर्या से लेकर कई क्षेत्रों जैसे सूचना, सरकार-प्रशासन, परिवहन, पर्यटन और मनोरंजन आदि सभी बदल गए. अमेरिकी रक्षा विभाग ने ARPANET को लॉन्च करने के बाद दुनियाभर में इंटरनेट नेटवर्क का तेजी से विस्तार किया. जल्द ही कनेक्ट होनी की सुविधा और इंटरनेट की निष्पक्षता इसकी लोकप्रियता के प्रमुख कारण हैं.
ये है चीन की रणनीति
दरअसल, इंटरनेट सभी के लिए है और इस पर किसी का एकाअधिकार नहीं है, लेकिन चीन तेजी से वेब पर एक पूर्ण प्रभुत्व जमाने की ओर बढ़ रहा है. सितंबर 2019 में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार सम्मेलन में प्रमुख चीनी दूरसंचार कंपनी हुआवेई ने राज्यों के स्वामित्व वाले उद्यमों जैसे चाइना यूनिकॉम के साथ मिलकर मौजूदा इंटरनेट प्रोटोकॉल को बदलने वाले एक पत्र पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद से कई साइबर विशेषज्ञ व्यवस्थित तरीके से इंटरनेट पर नियंत्रण करने की चीन की रणनीति से चिंतित हैं.
क्या है टीसीपी/आईपी
इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) के रूप में जाना जाता है. दुनियाभर में सभी कंप्यूटर और मोबाइल फोन इसी प्रणाली के माध्यम से जुड़े हुए हैं. टीसीपी सूचना प्रसारित करता है जबकि आईपी एक विशिष्ट कंप्यूटर या नेटवर्क से जुड़ी पहचान संख्या है.
चीनी के तर्क
दरअसल, चीन ने टीसीपी/आईपी में कमियों का हवाला देते हुए एक नया प्रोटोकॉल सुझाया है, जिसमें चीनी कंपनियों ने तीन चुनौतियों का उल्लेख किया है. पहला यह कि प्रोटोकॉल केवल टेलीफोन और कंप्यूटर को जोड़ता है, लेकिन इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के साथ इंटरनेट पर कई प्रकार की मशीनें अन्य उपकरणों के साथ जोड़ी जा सकती हैं और डेटा एक्सचेंज कर सकती हैं. दूसरा यह कि टीसीपी/आईपी के साथ सुरक्षा मुद्दे हैं. तीसरा और अंतिम तर्क चीन ने यह दिया कि वर्तमान प्रोटोकॉल केवल कुछ क्षेत्रों में प्रभावी है और इसे विस्तारित करने की आवश्यकता है.