नई दिल्ली : चीन ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा कर भारत के खिलाफ इस मामले को और गंभीर कर दिया है, जबकि भारत का दशकों से कहना है कि यह एक सुलझा हुआ मुद्दा है और इसे लेकर कोई सीमा विवाद नहीं है.
वहीं, चीन ने शुक्रवार रात को बिना किसी आधार के गलवान घाटी के श्योक इलाके पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा किया. यह भारत-चीन संबंधों के लिए ज्यादा गंभीर है, जो बीते अप्रैल से निचले स्तर पर पहुंच गया है. साथ ही चीन ने इस विवाद के समाधान के लिए एक सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता का प्रस्ताव भी रखा है.
गलवान घाटी को लेकर चीन के दावे के बाद भारत और चीन दोनों ने अपनी सीमाओं पर सेना, तोपखाने और विमान की तैनाती के साथ एक विशाल सैन्य निर्माण किया है. वहीं, भारतीय नौसेना भी पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तट पर हाई अलर्ट पर है.
यह भी पढ़ें-बॉयकॉट चीन: जानिए क्यों भारत के लिए मुश्किल है चीन को आर्थिक रूप से दंडित करना
भारत पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने शुक्रवार रात बीजिंग में कहा, 'गलवान घाटी चीन-भारत सीमा के पश्चिम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी क्षेत्र में स्थित है. कई वर्षों से चीनी सैनिक इस क्षेत्र में गश्त और ड्यूटी पर हैं.'
चीन के इस दावे से पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक के दौरान कहा था कि किसी ने भी भारतीय सीमाओं में प्रवेश नहीं किया है और न ही किसी ने भारतीय पोस्ट पर कब्जा किया है. साथ ही पीएम मोदी ने कहा था कि चीन ने गलवान घाटी में एलएसी पर 15 जून को जो किया, उससे पूरा देश आहत और नाराज है.
गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद 16 जून को चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सेना के पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली के हवाले से कहा था कि गलवान घाटी क्षेत्र पर चीन का अधिकार है.