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अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, गलवान घाटी में फिर लगाया टेंट

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में एक बार फिर से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा अतिक्रमण की खबरें आ रही हैं. सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिकों ने पेट्रोलिंग प्वाइंट नंबर-14 पर टेंट लगा लिया है.

china again set up tent in galwan valley of ladakh
गलवान घाटी में चीन ने लगाया टेंट.

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Published : Jun 24, 2020, 10:49 PM IST

नई दिल्ली/लेह : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में एक बार फिर से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा अतिक्रमण की खबरें आ रही हैं. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच जहां 15 जून की रात झड़प हुई थी, वहीं पर चीनी सैनिक फिर से पहुंच गए हैं.

सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिकों ने पेट्रोलिंग प्वाइंट नंबर-14 पर टेंट लगा लिया है.

सूत्रों का कहना है कि चीन पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी के बाद अब उत्तरी लद्दाख के डेपसांग में सैनिकों की संख्‍या बढ़ा रहा है. इस तरह उसने नया मोर्चा खोल दिया है.

गौरतलब है कि आज दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बैठक हुई. बैठक में चीन ने कहा कि वह डिसइंगेजमेंट की योजना पर काम करने के लिए सहमत है. उसने तनाव घटाने के लिए कदम उठाए जाने की बात पर भी सहमति जताई.

इससे पहले भारत-चीन तनाव के बीच रूस, भारत और चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों की मंगलवार को वर्चुअल बैठक हुई थी. गलवान झड़प के बाद यह पहला मौका था, जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने आमने-सामने बात की.

यह भी पढ़ें :आरआईसी समिट में बोले रूसी विदेश मंत्री- भारत और चीन को किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं

बैठक दौरान रूसी विदेश मंत्री का मानना था कि भारत और चीन को उनके बीच उपजा विवाद सुलझाने के लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है. वह स्वयं इस मुद्दे को हल कर सकते हैं. इस बैठक में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का सम्मान करने पर जोर दिया.

गौरतलब है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर उपजे विवाद के बाद गलवान घाटी में हुई हिंसा को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी आ गई है. हालांकि, शीर्ष सैन्य अफसरों के बीच हुई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने तनावपूर्ण माहौल से पीछे हटने को लेकर सहमति जताई है.

बता दें कि पीएलए ने इसी पेट्रोलिंग प्वाइंट पर 15 जून की रात भारतीय जवानों पर हमला किया था, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे और अन्य कई घायल हो गए थे. वहीं इस दौरान चीन के काफी सैनिक हताहत हुए थे.

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