न्यूयार्क : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने कोविड-19 के बढ़ते खतरे के बीच बच्चों के भविष्य को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है. यूनिसेफ का कहना है कि बच्चे कोरोना के कारण सबसे गंभीर रूप से प्रभावित पीड़ितों में से एक हैं. यूनिसेफ का कहना है कि इस महत्वपूर्ण निवेश को किसी भी परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरिकेटा फोर ने आगे अपने एक बयान में कहा कि बच्चों पर होने वाले महामारी के प्रभावों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कोरोना के कारण हमारा साझा भविष्य (बच्चों का भविष्य) को काफी नुकसान पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि इस महामारी से युवा भी काफी प्रभावित हैं.
यूनिसेफ ने बच्चों के साथ-साथ युवाओं के भविष्य को लेकर भी चिंता जताई. यूनिसेफ के एक विश्लेषण के अनुसार, दुनियाभर के 186 देशों में 18 से कम आयु के 99 प्रतिश्त युवा कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के शिकार हुए हैं.
मसलन, युवा कोविड-19 के कारण घरों में कैद होकर रह गए हैं. कोरोना के खिलाफ जारी इस मुहिम के कारण विश्व के 82 देशों के 60 प्रतिशत बच्चों में से 7 फीसदी पूर्ण लॉकडाउन में और 53 प्रतिशत बच्चें आंशिक लॉकडाउन में रह रहे हैं.
हम जानते और मानते भी हैं कि जब भी कोई संकट उत्पन्न होता है तो इससे सबसे अधिक युवा और सबसे कमजोर लोग असामयिक रूप से पीड़ित होते हैं.